scriptजिले के 193 सरकारी अस्पताल में से सिर्फ एक पर रेबीज के इंजेक्शन | Health facilities are not available in Sehore district | Patrika News

जिले के 193 सरकारी अस्पताल में से सिर्फ एक पर रेबीज के इंजेक्शन

locationसीहोरPublished: Oct 07, 2019 11:32:00 am

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

एक दिन में जिले के करीब 250 मरीज को होती है रेबीज इंजेक्शन की जरूरत

जिले के 193 सरकारी अस्पताल में से सिर्फ एक पर रेबीज के इंजेक्शन

जिले के 193 सरकारी अस्पताल में से सिर्फ एक पर रेबीज के इंजेक्शन

सीहोर. जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर न तो एम्बुलेंस की हालत ठीक है और नहीं अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए पर्याप्त बेड। संसाधन तो छोडि़ए साहब! यहां पर दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं। सीहोर जिले में करीब 193 सरकारी अस्पताल हैं, जिनमें से करीब 192 पर बीते तीन से चार महीने से रेबीज इंजेक्शन नहीं है। जिले में हर दिन रेबीज इंजेक्शन की करीब 200 से 250 व्यक्तियों को जरूरत होती है। बाजार में एक रेबीज इंजेक्शन 150 से 300 रुपए तक का आता है। कई डॉक्टर तो ऐसे हैं, जिन्हें महंगी दवाई लिखने की आदत बनी हुई है, ऐसे में गरीब व्यक्ति को इलाज कराने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सरकार की योजनाएं संचालित होने के बाद भी गरीब व्यक्ति को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

अप्रैल महीने में भेजी डिमांड, अभी तक नहीं मिले
सीहोर सीएमएचओ ऑफिस से अप्रैल महीने में रेबीज इंजेक्शन की डिमांड भोपाल भेजी गई थी। सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी की माने तो सात हजार रेबीज इंजेक्शन की डिमांड दो बार में भेजी गई थी। दो बार डिमांड भेजने के बाद भी इस साल एक भी रेबीज का इंजेक्शन नहीं आया है। स्वास्थ्य विभाग पिछले साल के स्टॉक से काम चला रहा है, यह स्टॉक भी जल्द ही खत्म होने वाला है। स्टॉक में ज्यादा इंजेक्शन नहीं बचे हैं।
तहसील और ब्लॉक में भेजना किया बंद
सीहोर जिले में दो सिविल अस्पताल, 8 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 19 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 163 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं। रेबीज का स्टॉक कम होने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जिले के सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और उप स्वास्थ्य केन्द्र पर सप्लाई बंद कर दी है, लेकिन जिला अस्पताल में रेबीज के इंजेक्श विशेष जरूरत होने पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

एम्बुलेंस की हालत खराब
जिले में मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए सरकार ने 108 एम्बुलेंस की सुविधा दी है। एम्बुलेंस का संचालन जिगित्सा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। जिले में 16 गाडिय़ों हैं, जिसमें से दो खराब पड़ी हैं और जो चल रही हैं, उनमें कोई संसाधन नहीं है। हालत यह है कि जिला अस्पताल की सबसे महत्वपूर्ण एम्बुलेंस में सभी एडवांस लाइफ सपोर्ट यंत्र खराब पड़े हैं। इस समय एम्बुलेंस का वेंटीलेटर तक खराब पड़ा है। जिले में गाडिय़ों की यह हालत तब है जब सरकार से निजी एजेंसी जिगित्सा हेल्थ केयर 21 रुपए प्रति किलोमीटर से ज्यादा की राशि वसूल रही है। जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी दूसरी एम्बुलेंस से ज्यादा पैसा वसूल करने के बाद भी अच्छी सुविधा नहीं दे पा रही है। कंपनी की सेवाओं से 108 एम्बुलेंस पर तैनात अमला भी खुश नहीं है।
जिला अस्पताल में नहीं पर्याप्त बेड
जिला अस्तपाल में पर्याप्त बेड नहीं हैं। एक-एक बेड़ पर दो-दो, तीन-तीन मरीज भर्ती है। कई बार संख्या बढऩे पर मरीजों को वार्ड में जमीन पर लिटाकर ड्रिप लगानी पड़ती है। सीजन में यह समस्या बहुत परेशानी देती है। इस समय भी मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है। एक-एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती है। रोज ओपीडी एक हजार का आंकड़ा छू रही है। एक-एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती हो रहे हैं, मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो