सीहोर। भोपाल की सेंट्रल जेल से सिमी के आठ आतंकवादियों के भागने और फिर उनके एनकाउंटर को लेकर देशभर में जेलों की सुरक्षा को लेकर बहस चल रही है। सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश वर्षों पहले जारी हो गए हैं, लेकिन इस पर अमल अभी तक नहीं हुआ है। जिले की दोनों जेलों की बात करें तो सुरक्षा के नाम पर सीहोर और नसरुल्लागंज जेल में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही पर्याप्त बल हैं।
भोपाल सेन्ट्रल जेल से आंतकवादियों के फरार होने की घटना ने जेल प्रशासन को झकझोर दिया है। जेल विभाग ने प्रदेश की सभी जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। इसके बाद भी जेल प्रबंधन जेलों में सुरक्षा को लेकर सुविधाएं देने में पीछे है। जेलों में काफी समय पहले सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश प्रदेश शासन जारी कर चुका है। जिला जेल से भी एक साल पहले कैदियों की गतिविधियों एवं परिसर में आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखने एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे लगाया जाना प्रस्तावित किया था, लेकिन अभी तक कैमरे नहीं लग सके हैं। ऐसा ही हाल नसरुल्लागंज उपजेल का भी है। यहां भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लग सकें हैं।
सीहोर में आठ, नसरुल्लागंज में सात पद खाली
जिले की दोनों जेलों में वर्षों से स्टाफ की कमी है। जिला जेल में 44 पद स्वीकृत हैं। इनमें से आठ पद रिक्त हैं। इसके अलावा जिला जेल के पांच कर्मचारी अन्य जेलो में अटैच हैं। इनमें तीन भोपाल जेल में, एक नरसिंहगढ़ जेल तथा एक विदिशा जेल में अटैच है। जिला जेल में निरुद्ध 269 कैदियों पर महज 30 कर्मचारी ही तैनात हैं। हैरत की बात यह है कि जिला जेल के अधीक्षक और सहायक अधीक्षक पद भी खाली है। एडिशनल जेलर जिला जेल के कमान संभाले हुए हैं। वहीं नसरुल्लागंज जेल में भी प्रहरियों के सात पद रिक्त पड़े हैं। यह पद अप्रैल माह में स्वीकृत हुए थे। नसरुल्लागंज जेल में इस समय जेलर सहित 28 कर्मचारी पदस्थ हैं।
जेलों में हैं क्षमता से अधिक कैदी
जिले की दोनों जेल जिला जेल और नसरुल्लागंज उपजेल में क्षमता से अधिक कैदी निरुद्ध रहते हैं। इससे बैरकों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखना पड़ता है। नसरुल्लागंज जेल 50 कैदियों के रखने की क्षमता हैं, लेकिन इस समय 66 कैदी जेल में निरुद्ध हैं। जबकि सीहोर जेल की क्षमता तीन सौ कैदियों की है।यहां इस समय 269 कैदी निरुद्ध है।