जिले के आष्टा विकासखंड के तहत आने वाले गांव पगारिया हाट निवासी शबनम (28) पति फइम मंसूरी को मंगलवार सुबह 9 बजे के करीब डिलेवरी के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया था। फइम का आरोप है कि डेढ़ घंटे तक शबनम की डॉक्टर ने देखरेख नहीं की। जब उसकी तबियत बिगडऩे लगी तो मौजूद सिस्टर से कहा गया। फइम का आरोप है कि सिस्टर ने ड्यूटी डॉक्टर क्रांति जैन को फोन लगाकर इसकी सूचना दी। बावजूद वह अस्पताल नहीं आई। साढ़े 10 बजे जब शबनम की हालत ज्यादा बिगड़ी तो उसे निजी अस्पताल ले जाने लगे।
नहीं मिला साधन तो ऑटो का लिया सहारा
फइम मंसूरी का आरोप है कि अस्पताल में मौके पर 108 एंबुलेंस मौजूद नहीं होने से किराए से ऑटो करना पड़ा। ऑटो में शबनम को बैठाकर आष्टा के ही निजी अस्पताल लेकर जा रहा था। वहां पहुंचता उससे पहले ही रास्ते में डिलेवरी हो गई। बच्चे और महिला को इलाज के लिए वापस सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने ला रहे थे। इस दौरान बच्चे की मौत हो गई।
फइम मंसूरी का आरोप है कि अस्पताल में मौके पर 108 एंबुलेंस मौजूद नहीं होने से किराए से ऑटो करना पड़ा। ऑटो में शबनम को बैठाकर आष्टा के ही निजी अस्पताल लेकर जा रहा था। वहां पहुंचता उससे पहले ही रास्ते में डिलेवरी हो गई। बच्चे और महिला को इलाज के लिए वापस सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने ला रहे थे। इस दौरान बच्चे की मौत हो गई।
तो बच जाती जान
फइम और उसके परिजन ने अस्पताल आकर अपना विरोध जताकर अक्रोश जाहिर किया। इसमें लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की। इसे लेकर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई है। फइम मंसूरी ने बताया कि डॉक्टर समय से उसकी पत्नी की देखरेख कर लेते तो बच्चा जिंदा होता।
फइम और उसके परिजन ने अस्पताल आकर अपना विरोध जताकर अक्रोश जाहिर किया। इसमें लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर के खिलाफ उचित कार्रवाई की भी मांग की। इसे लेकर थाने में भी शिकायत दर्ज कराई है। फइम मंसूरी ने बताया कि डॉक्टर समय से उसकी पत्नी की देखरेख कर लेते तो बच्चा जिंदा होता।
मां की आंखों से निकल पड़े आंसू
फइम के घर दो लड़की है और वह एक लड़का होने का इंतजार कर रहे थे। डिलेवरी के बाद जब सब को पता चला कि लड़का हुआ है तो उनके चेहरे पर खुशी छा गई थी। शबनम दर्द से तड़पने के बाद भी खुश थी कि उसको बेटा हुआ है। कुछ ही देर में यह खुशी मायूसी में बदल गई। शबनम के साथ परिवार वालों के भी रो-रोकर बुरे हाल थे।
फइम के घर दो लड़की है और वह एक लड़का होने का इंतजार कर रहे थे। डिलेवरी के बाद जब सब को पता चला कि लड़का हुआ है तो उनके चेहरे पर खुशी छा गई थी। शबनम दर्द से तड़पने के बाद भी खुश थी कि उसको बेटा हुआ है। कुछ ही देर में यह खुशी मायूसी में बदल गई। शबनम के साथ परिवार वालों के भी रो-रोकर बुरे हाल थे।
पहले भी सामने आ चुके हैं मामले
अस्पताल में इस प्रकार का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पूर्व भी इसी तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इस दौरान मरीज के परिजन ने हंगामा तक किया था। बावजूद इसके व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो सका है। इसका खामियाजा आए दिन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
अस्पताल में इस प्रकार का यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पूर्व भी इसी तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इस दौरान मरीज के परिजन ने हंगामा तक किया था। बावजूद इसके व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो सका है। इसका खामियाजा आए दिन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
-कार्रवाई होना चाहिए
-डेढ़ घंटे तक पत्नी तड़पती रही, फिर भी डॉक्टर को सूचना देने पर नहीं आई। दर्द बढ़ा तो दूसरी अस्पताल ले जा रहे थे, रास्ते में डिलेवरी हो गई। वापस आते समय बच्चे की मौत हुई। इस मामले में कार्रवाई होना चाहिए। -फइम मंसूरी, महिला का पति पगारिया हाट
-डेढ़ घंटे तक पत्नी तड़पती रही, फिर भी डॉक्टर को सूचना देने पर नहीं आई। दर्द बढ़ा तो दूसरी अस्पताल ले जा रहे थे, रास्ते में डिलेवरी हो गई। वापस आते समय बच्चे की मौत हुई। इस मामले में कार्रवाई होना चाहिए। -फइम मंसूरी, महिला का पति पगारिया हाट
-मौके पर पहुंच गई थी
-मेरे पास सिस्टर का कॉल आने के बाद ही मैं अस्पताल पहुंच गई थी। यहां पता चला कि मरीज को परिजन ले गए हैं। थोड़ी देर बाद मृत बच्चे को लेकर आए और यहां डॉक्टरों को गालियां दी। आरोप पूरी तरह से गलत हैं। -डॉ. क्रांति जैन, महिला डॉक्टर सिविल अस्पताल आष्टा
-मेरे पास सिस्टर का कॉल आने के बाद ही मैं अस्पताल पहुंच गई थी। यहां पता चला कि मरीज को परिजन ले गए हैं। थोड़ी देर बाद मृत बच्चे को लेकर आए और यहां डॉक्टरों को गालियां दी। आरोप पूरी तरह से गलत हैं। -डॉ. क्रांति जैन, महिला डॉक्टर सिविल अस्पताल आष्टा
-दबाव बना रहे थे
-डिलेवरी होने के बाद मृत बच्चे को लेकर उसके परिजन अस्पताल पहुंचे थे। यहां आकर जबरदस्ती दबाव बना रहे थे। जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से निराधार है। महिला का पति अपशब्द भी बोल रहा था। -डॉ. प्रवीर गुप्ता, बीएमओ सिविल अस्पताल आष्टा
-डिलेवरी होने के बाद मृत बच्चे को लेकर उसके परिजन अस्पताल पहुंचे थे। यहां आकर जबरदस्ती दबाव बना रहे थे। जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं वह पूरी तरह से निराधार है। महिला का पति अपशब्द भी बोल रहा था। -डॉ. प्रवीर गुप्ता, बीएमओ सिविल अस्पताल आष्टा