scriptअस्पताल आ रहे हैं तो अपने साथ पंखे साथ में लाएं | If you are coming to the hospital then bring the fan together | Patrika News

अस्पताल आ रहे हैं तो अपने साथ पंखे साथ में लाएं

locationसीहोरPublished: Apr 16, 2018 02:20:22 pm

मरीज अपने हाल पर, ट्रामा सेंटर में बिजली गुल, जनरेटर पड़े हैं बंद, अंधेरे में डॉक्टर और अस्पताल स्टॉफ टॉर्च लेकर कर रहे मरीजों का इलाज.

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सीहोर. जिला अस्पताल में इलाज कराने जा रहे तो हाथ के पंखे लेकर अवश्य जाएं। भीषण गर्मी के इस मौसम में आपको हाथ वाले पंखे जरूरत पड़ सकती है। दरअसल, जिला अस्पताल को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट होने के करीब डेढ़ साल बाद अभी तक जनरेटर की व्यवस्था नहीं की है। जबकि फोरलेन और पोल शिफ्टिंग के काम में कभी भी बिजली गुल हो जाती है। इसका खामियाजा मरीजों और उनके अटेंडरों को भुगतना पड़ता है। बिजली गुल होने पर कई बार डॉक्टर और अस्पताल स्टॉफ भी विभिन्न वार्डों में टॉर्च के सहारे इलाज करते हुए नजर आता है।

जिला अस्पताल को नई ट्रामा बिल्डिंग में शिफ्ट किए करीब डेढ़ साल का समय हो चुका है, लेकिन ट्रामा सेंटर में अभी जरूरी सुविधाओं पर भी पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया गया है। जिला अस्पताल में गर्मी के मौसम में सबसे अधिक परेशानी बिजली गुल होने पर मरीजों को उठानी पड़ रही है। दरअसल, इस समय जिला अस्पताल एरिया क्षेत्र में फोरलेन और पोल शिफ्टिंग का काम चल रहा है। इसके कारण बिजली गुल होना आम हो गया है। बिजली कंपनी द्वारा घोषित रूप से बिजली की कटौती की ही जा रही है।

इसके अलावा अघोषित रूप से भी जब-तब बिजली बंद कर दी जाती है। इसका परिणाम यह निकलता है कि जिला अस्पताल की बिजली भी गुल हो जाती है। जिला अस्पताल की बिजली गुल होने पर मरीजों की फजीहत हो जाती है। अस्पताल प्रबंधन ने बिजली गुल होने की स्थिति में अभी तक अस्पताल में वैकल्पिक बिजली उपलब्ध कराने जनरेटर की कोई व्यवस्था नहीं की जा गई है। इसके कारण बिजली गुल होते ही ही अस्पताल भी बिजली बंद हो जाती है और मरीज और अटेंडरों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

रविवार को कटौती होने पर हुई फजीहत
रविवार को सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक बिजली कटौती होने से जिला अस्पताल के मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान कुछ मरीजों और अटेंडरों ने हाथ से चलने वाले पंखे की व्यवस्था कर ली, लेकिन अनेक मरीज मोटे कागज और पेपर के सहारे गर्मी से निजात के लिए प्रयास करते हुए नजर आए। सिद्दिकगंज से डिलेवरी के लिए भर्ती हुई पूजा पत्नी दीपक सोलंकी ने बताया कि रविवार को सुबह नौ बजे से अस्पताल की बिजली चली गई थी। इसके कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

स्टाफ टार्च की रोशनी में लगा रही थीं मरीजों को बॉटल
गर्मी का मौसम चलने के कारण जिला अस्पताल में इस समय अनेक मरीज भर्ती हैं, जिन्हे पलंग भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। औसतन एक हजार से अधिकर मरीज जिला अस्पताल में पहुंच रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक-एक पलंग पर दो-दो, तीन-तीन मरीज भर्ती है। ऐसे समय में बिजली गुल होने के कारण मरीजों को गर्मी से परेशान होने पर मजबूर होना पड़ा। अस्पताल स्टाफ स्टाफ नर्स आदि टॉर्च की रोशनी में अस्पताल में मरीजों का उपचार करते हुए नजर आ रहे थे।
रुक जाती हैं जांचें और एक्सरे
जिला अस्पताल में बिजली कटौती के जांचें और एक्सरे भी रुक जाते हैं और जिला अस्पताल स्वयं वेंटीलेटर पर नजर आता है। ज्ञात रहे कि पिछले दो सप्ताह पहले भी बिजली की घोषित कटौती होने से अस्पताल में मरीजों की फजीहत हो गई थी। अस्पताल प्रबंधन के पास बिजली की कटौती के समय वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर कोई सुविधा नहीं है। इमरजेंसी वार्ड में जरूर इंवर्टर की सहायता से अस्पताल में रोशनी नजर आती है।
-ट्रामा सेंटर में जनरेटर को जल्द शिफ्ट करने काम चल रहा है। मरीजों को किसी भी तरह की समस्या ना हो इसके प्रयास लगातार किए जा रहे है। –सुधीर कुमार श्रीवास्तव, आरएमओ जिला अस्पताल सीहोर
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