सोयाबीन का विकल्प खोजने की जरुरत
जानकारी के अनुसार तीस सितंबर और एक अक्टूबर को भारत सरकार की इंटर मिनिस्टीरियल सेंट्रल टीम ने अतिवृष्टि और कीट व्याधि से प्रभावित सोयाबीन की फसल का जायजा लिया। इस टीम में भारत सरकार के संयुक्त सचिव राजवीर सिंह एवं अपर सचिव हरित कुमार शाक्य थे। उन्होंने भी भ्रमण के दौरान किसानों से बातचीत में कहा कि सोयाबीन की फसल हर साल खराब हो रही है, इसलिए इसके विकल्स पर ध्यान दिया जाए। सोयाबीन के साथ दूसरी फसल पर भी फोकस किया जाए। बताया जा रहा है कि उन्होंने भारत सरकार को दी रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया है कि किसानों को सोयाबीन के साथ दूसरी क्रॉप्स पर जोर देना चाहिए। हालांकि, अफसर रिपोर्ट पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।
सोयाबीन का भाव अपेक्षा से कम
सीहोर और आष्टा कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की आवक और भाव दोनों कम हैं। बुधवार को सीहोर कृषि उपज मंडी में सोयाबीन का भाव 2200 से 3300 रहा है। आवक महज तीन हजार क्विंटल की हुई है। इसके साथ आष्टा में सोयाबीन का भाव 1740 से 4148 रुपए प्रति क्विंटल बताया जा रहा है, यहां सोयाबीन की आवक 2 हजार 750 बताई गई है। किसान भाव से भी संतुष्ट नहीं हैं। सोयाबीन नीचे में तो समर्थन रेट से भी कम में बिल रहा है।
मक्का और ज्वार हो सकते हैं विकल्प- कृषि विभाग
कृषि विभाग के अफसर भी सोयाबीन का उत्पादन गिरने को लेकर किसानों को आगे विकल्प पर ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं। एडीए रामशंकर जाट ने बताया कि सीहोर जिले में सोयाबीन का सबसे अच्छा विकल्प शंकर मक्का और ज्वार है। तीन साल में मक्का का रकबा तीन हजार हेक्टयर से बढ़कर साढ़े 14 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है। मक्का का उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आ रहा है। किसानों को सोयाबीन का रकबा कम करना चाहिए, लेकिन जिले में उल्टा हो रहा है, सोयाबीन का रकबा हर साल बढ़ रहा है और उत्पादन कम हो रहा है।