scriptभूमि के अभाव में साढ़े तीन सौ आंगनबाड़ी को नहीं मिल पा रही छत | Inadequate land, the roof of three hundred anganwadi can not be found | Patrika News

भूमि के अभाव में साढ़े तीन सौ आंगनबाड़ी को नहीं मिल पा रही छत

locationसीहोरPublished: Jan 05, 2019 08:44:48 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

शहर और गांव की 357 आंगनबाड़ी केन्द्र का किराए के भवन से संचालन

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Sehore. Anganwadi operated in a rented house.

सीहोर. भूमि के अभाव में जिले की साढ़े तीन सौ से ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्र को छत नहीं मिल पा रही है। आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए सरकारी भवन नहीं होने के कारण किराए के भवनों से संचालन किया जा रहा है। किराए के भवनों में सुविधाओं का अभाव है, जिसे लेकर इन आंगनबाड़ी केन्द्र पर बच्चे आने से कतरा रहे हैं, यहां बच्चों की उपस्थित बहुत कम है।
जानकारी के अनुसार जिले में करीब एक हजार 415 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, जिनमें से करीब तीन सौ 57 आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन किराए के भवनों से हो रहा है। इन आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण सरकारी जमीन नहीं मिलने के कारण नहीं हो पा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ बार-बार सरकार को प्रस्ताव भेजने के बाद भी जमीन और राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने कुछ दिन पहले फिर से 83 आंगनबाड़ी भवन निर्माण का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।
सरकार का उद्देश्य नहीं हो रहा पूरा
किराए के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र पर सुविधाओं का अभाव है। एक छोटे से कमरे में बच्चों को न तो बैठने के लिए पर्याप्त जगह मिल पा रही है और न ही खेलने के लिए। किराए पर लिया गया कमरा आधे से ज्यादा तो आंगनबाड़ी केन्द्र की सामग्री से घिर जाता है और शेष जगह पर बच्चे बैठते हैं। सुविधा और जगह की कमी के कारण यहां पर 20 से 30 प्रतिशत बच्चे ही पहुंचते हैं, जबकि दूसरे आंगनबाड़ी केन्द्र पर बच्चों की उपस्थित 60 से 70 फीसदी तक पहुंच जाती है।
फैक्ट-फाइल
जिले में कुल आंगनबाड़ी : 1415
एकीकृत बाल विकास परियोजना : 09
दर्ज बच्चों की संख्या : 1 लाख 26 हजार 925
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता : 1415
साहायिका : 1211
किराए के मकान में : 357
प्रस्ताव बनाकर भेजा : 83
निर्धारित किराया शहरी : 2500
ग्रामीण क्षेत्र के लिए किराया : 700

– हमारी तरफ से जहां पर जगह है वहां आंगनबाड़ी भवन बनाने के लिए प्रस्ताव बनाकर उच्च स्तर पर भेजा है।स्वीकृति मिलते ही भवन बनाया जाएगा। -सुष्मिता बिल्लौरे, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास
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