लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के लैब रिपोर्ट के मुताबिक कई जगह से मिली पानी की जांच से सामने आया है कि एक लीटर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 से बढ़कर 12 मिली ग्राम तक पहुंच गया है। नाइट्रेट 45 मिली ग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 100 मिली ग्राम तक मिल रहा है। लैब के विशेषज्ञों की माने तो इस दिशा में सोचना बहुत जरूरी है। यदि जमीन के अंदर का पानी इसी प्रकार से दूषित होता रहा तो आने वाला समय बहुत मुश्किल भरा होगा।
एक साल में साढ़े तीन हजार सेंपल की जांच
पीएचई की लैब में एक जनवरी से दिसंबर 2018 तक करीब 3600 जगह के पानी के सेंपल की जांच की गई है। हर महीने औसत 300-310 सेंपल की जांच की जाती है। कुछ जगह से पानी के सेंपल पानी के दूषित होने की शिकायत मिलने पर मंगाए जाते हैं और कुछ जगह के पानी की जांच रूटीन प्रक्रिया के हिसाब से की जाती है। साल 2018 में लिए गए पानी के सेंपल की जांच में सामने आया है कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा 12 मिली ग्राम प्रति लीटर, नाइट्रेट 100, हार्डनेस 200 से 600 से बढ़कर 1200 मिली ग्राम प्रति लीटर और पीएच अधिकतम 8.5 से बढ़कर 9.5 ग्राम प्रति लीटर तक निकल रहा है।
उत्पादन की चाह में खाद का उपयोग
फसल के अधिक उत्पादन की चाह में किसान रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ाते जा रहे हैं। किसान हीरालाल त्यागी ने बताया कि पहले एक एकड़ सोयाबीन में बोवनी के समय 25 किलो डीएपी खाद का उपयोग करता था, लेकिन अब कुछ किसान 50 किलो तक खाद डाल रहे हैं। गेहूं में तो यूरिया और नाइट्रेट का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है, जिससे पौधे की ग्रोथ अच्छी हो। रासायनिक खाद के उपयोग से मिट्टी की उपराऊ शक्ति भी कम हो रही है।
फ्लोराइड
मानक : फ्लोराइड की मात्रा 1.5 से बढ़कर 12 मिलीग्राम तक पहुंची
नुकसान : दांत खराब होना, शरीर की हड्डियां और आंख कमजोर होने लगती है।
सुरक्षा के उपाय : बोर, हैंडपंप के पानी में फ्लोराइड है तो उसे बंद कर देना चाहिए। चालू है भी तो पानी का उपयोग पीने में नहीं करते हुए कपड़े आदि धोने में ले सकते हैं।
नाइट्रेट
मानक : नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए, 100 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मिल रहा है।
नुकसान : उल्टी-दस्त सहित पेट संंबंधी समस्त बीमारी होने का खतरा रहता है।
सुरक्षा के उपाय : 20 लीटर पानी में क्लोरिन की तीन से चार बूंद डाल सकते हैं। जिससे पानी पीने योग्य हो जाएगा।
पीएच
मानक : पीएच 6.5 से 8.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक होना चाहिए, यहां 9.5 मिली ग्राम प्रति लीटर तक मिला है
नुकसान: पानी का पीएच कम होता है तो अम्लीय होने से पेट संबंधी बीमारी होती है औरबढ़ता है तो पथरी की बीमारी होने का खतरा रहता है।
सुरक्षा के उपाय : पीएच कम हुआ तो पानी में थोड़ा सा चुना मिला सकते हैं, बढ़ता है तो आरओ लगा सकते हैं।
कठोरता (हार्डनेस)
मानक : हार्डनेस 200 से 600 मिलीग्राम प्रतिलीटर तक होती है, यहां 1200 मिलीग्राम प्रति लीटर तक निकल रही है।
नुकसान : उल्टी-दस्त होना, भोजन नहीं पचना सहित अन्य बीमारी हो जाती है।
उपाय : पानी उबलकर पी सकते हैं, फिल्टर का उपयोग का कर सकते हैं।
– पानी में तत्व कम ज्यादा होते हैं तो उनको उपाय कर दूर कर सकते हैं। पानी में फ्लोराइड है तो उसको पीने में उपयोग नहीं लेेना चाहिए। साथ ही पानी की समय पर लैब में जांच भी कराना चाहिए।
-नरेंद्र कुमार, प्रयोगशाला सहायक सीहोर