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मन को निर्मल नीर की तरह रखों, कभी कपट नहीं आने दो- शर्मा

locationसीहोरPublished: Dec 24, 2018 10:37:51 am

Submitted by:

Anil kumar

श्रीमद भागवत कथा का हो रहा आयोजन…

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श्रीमद भागवत

आष्टा। मन को निर्मल नीर की तरह रखो, इसमें कभी छल कपट नहीं आने दो। मन चंचल होता है इसमें हर तरह के भाव आते जाते रहते हैं। इसमें सिर्फ अच्छे भाव ही लाए। इससे पाप का भागीदार बनने से बच सकोगे।
यह बात झिलेला में चल रही श्रीमद भागवत कथा में पंडित घनश्याम शर्मा ने कहीं। कथा में बताया कि जीवन यात्रा में भक्ति ही ऐसा मार्ग है जो इस भव सागर से पार करा सकता है। आप सब मिलकर अपने जीवन के प्रत्येक पल का सदुपयोग करें और प्रभु की भक्ति में लीन रहे। आपके हर कष्ट को हरने का सामथ्र्य प्रभु कृ पा में ही है,

वह ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ते जो कि आप कर सकें सब संभव हो जाता है उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। प्रभु कृ पा ही ऐसा माध्यम है जो कि नाव बनकर मझधार से निकाल लाती है। समुद्र मंथन की कथा के माध्यम से पंडित शर्मा ने बताया कि जिस प्रकार से जीवन में अनेकों कड़वी बातों को हम झेलते हैं, वैसे जैसे भगवान भोलेनाथ कड़वी बातों को अपने कंठ में सुरक्षित रखते हैं सिर्फ मीठी बातें ही संसार को परोसी है। आपके घर संसार में सुख व समृद्धि का विस्तार होगा।

कल्याण की कामना होना चाहिए
पंडित शर्मा ने गौ माता के विषय में बोलते हुए कहा कि प्रत्येक घर गौ माता होनी चाहिए एवं कल्याण की कामना से ही सही उनकी सेवा करें। निश्चित रूप से जीवन यात्रा में आनंद की अनुभूति होगी। समस्त प्रकार के घर के वास्तु दोष दूर हो जाएंगे और जीवन में आने वाली पीढ़ी कष्ट का हरण गौ माता स्वयं कर लेंगी। गौ माता के शरीर में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है यानी सभी देवी देवता आपके जीवन में प्रत्यक्ष उपस्थित रहकर आप की कठिनाइयों का हरण करते हैं। कथा में प्रमुख रूप से पंडित अर्जुन शर्मा ने भजन के माध्यम से भक्ति की लहर का प्रवाह किया। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

छप्पनभोग में उमड़ा आस्था का सैलाब
आष्टा। नगर के बुधवारा स्थित खत्री मोहल्ला में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में शनिवार को गोवर्धन पूजन और छप्पन भोग का आयोजन किया गया। इस मौके पर भागवत कथा वाचक पंडित दीपक दास शास्त्री ने कहा कि गोवर्धन पूजन पर्यावरण संरक्षण और रक्षा करने का संदेश देता है। जब व्यक्ति गहराई से देखता है तो उसे पता चलता है कि अग्नि जलाकर विनाश करती है और वही भोजन पकाकर भी खिलाती है। जल शांति देता है और वही विनाश भी करता है।

भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला में एक संदेश था। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा का धार्मिक ही नहीं हैए बल्कि गोवर्धन पूजा में पर्यावरण को बचाने का संदेश भी छिपा है जो हमारे ऋ षि मुनियों ने दिया था। इस संबंध में आयोजन समिति के पदाधिकारी प्रकाश खत्री ने बताया कि नगर के बुधवारा स्थित खत्री मोहल्ला में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में रविवार को कथा के छठवें दिवस भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी का विवाह रचाया जाएगा।

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