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एक पलंग पर चार मरीजों को चल रहा इलाज, इंफेक्शन का मंडराया खतरा

locationसीहोरPublished: Jul 08, 2018 03:57:32 pm

मरीजों को करवट लेना हो रहा मुश्किल, उठा रहे परेशानी

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एक पलंग पर चार मरीजों को चल रहा इलाज, इंफेक्शन का मंडराया खतरा

सीहोर। बीमारी की गिरफ्त में आकर इलाज की आस में जिला अस्पताल आ रहे मरीजों के हाल बेहाल हो रहे हैं। एक पलंग पर दो से लेकर चार तक को एक साथ लेटाकर इलाज करने से उनको करवट लेना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में संक्रमण का खतरा मंडरा गया है। बावजूद अस्पताल के जिम्मेदार इससे अनभिज्ञ बने हुए हैं। यही हाल आगे भी रहे तो स्थिति और बिगड़ सकती है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ेगा। जबकि ओपीडी लगातार रिकार्ड बनाने में लगी है।

बारिश चलने से मौसमी बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। लोग बुखार, सर्दी जुकाम, सिर दर्द, पेट दर्द आदि बीमारी की चपेट में आकर इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। इससे पिछले कुछ दिन से अस्पताल में काफी भीड़ देखने को मिल रही है। ओपीडी का आंकड़ा एक हजार को पार गया है। ऐसे में अस्पताल की बदइंतजामी की भी पोल खुल गई है। इसकी हकीकत मेडिकल महिला वार्ड बता रहा है।

मेडिकल व वृद्धजन महिला वार्ड में जितनी पलंग लगी है, उससे तीन से चार गुना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। एक पलंग पर तीन से चार मरीजों को लेटकर बाटल चढ़ाने के साथ इलाज किया जाता है। एक तरफ मरीज दर्द के मारे करहाता तो दूसरी तरफ पलंग पर बैठने जगह तलाशता है। जब कुछ नहीं होता तो जैसे डॉक्टर इलाज करते हैं, वैसे कराना पड़ता है। अन्य वार्डो में भी यही हाल है।

तो फैल सकता है संक्रमण
यह मौसम ऐसा है जिसमें सबसे ज्यादा बीमारियों का फैलने की संभावना रहती है। अस्पताल में इस प्रकार के इलाज करने से मरीजों में संक्रमण फैल सकता है। इससे उनकी तबियत और खराब हो सकती है। वर्तमान में भर्ती मरीज को यही चिंता सता रही है कि छोटी मोटी बीमारी के इलाज के चक्कर में कही बड़ी बीमारी उन्हें घेर नहीं ले। वह दर्द से करहाते हुए यही कह रहे हैं कि आखिर कौन उनकी सुध लेगा। बता दे कि अस्पताल में सीहोर के अलावा आष्टा, नसरूल्लागंज, बुदनी, श्यामपुर, जावर, कोठरी आदि जगह से रेफर होने वाले मरीजों को भी लाया जाता है।

नहीं है पर्याप्त पलंग
करोड़ों की लागत से ट्रामा सेंटर का नया भवन भले ही तैयार कर उसमें अस्पताल शिफ्ट कर दिया हो, लेकिन इसमें भी कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सबसे बड़ी पलंग की समस्या है। जितनी पलंग हैं, वह मरीजों के हिसाब से बहुत कम है। प्रबंधन जरूर कहता हुआ रहा है कि उसने डिमांड बनाकर भेजी है, लेकिन अब तक इसमें क्या हुआ और क्या नहीं इसके बारे में कोई बताने को तैयार नहीं है। जब जिला अस्पताल में यह हाल है तो अन्य जगह क्या होंगे उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। शासन और स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सुविधा बढ़ाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर खोखला साबित होता दिख रहा है।

इस प्रकार है जुलाई महीने की ओपीडी
1 जुलाई- 463
2 जुलाई- 14 99
3 जुलाई- 133 9
4 जुलाई- 1147
5 जुलाई- 673
6 जुलाई -1127
7 जुलाई- 1162
8 जुलाई- 800 के करीब

चार का किया इलाज
में और मेरी बेटी प्रीति दोनों भर्ती है। दोनों का एक पलंग पर इलाज चलने के बावजूद दो को और लेटाकर बाटल चढ़ाई गई। इससे दिक्कत हो रही है।
शीला बाई, मरीज गांव बिजलौन


बैठने की जगह नहीं
बीमारी का इलाज कराने अस्पताल में भर्ती हूं, लेकिन यहां तो बेकार स्थिति है। एक पलंग पर तीन से चार मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
राजकुमारी राठौर, मरीज निवासी गंज सीहोर


नहीं सुनते कोई
बीमारी से पहले ही परेशान हैं, उसके बावजूद अस्पताल में सुनवाई नहीं हो रही है। मनमर्जी से लेटाकर एक पलंग पर ही इलाज कर रहे हैं।
प्रेम बाई, मरीज निवासी बरखेड़ी


बात करता हूं
इस संंबंध में सिविल सर्जन से बात करता हूं। जो भी होगा उसे लेेकर दिशा निर्देश दिए जाएंगे। मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ सीहोर

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