प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ अपने मांगों के संबंध में कई नाम अधिकारी, जनप्रतिनिधि को अवगत करा चुका है। बावजूद कुछ नहीं हो सका है। जिला अध्यक्ष डॉ नया मेहर ने बताया कि 31 जुलाई को प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ ने प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव द्वारा स्वास्थ्य मंत्री को 14 सूत्रीय मांगों को लेना ज्ञापन सौंपा था। जिसमें 10 दिन के भीतर मांग का निराकरण करने की बात कहीं थी। इसके समयसी 11 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इसमें अब तक कुछ नहीं होका है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया गया।
ज़रूरत पड़ी तो देव सामूहिक इस्तीफा
चिकित्सा अधिकारी जिला अध्यक्ष मेहर, संरक्षक आनंद शर्मा, संगठन सचिव डॉ। नितिन पटेल ने कहा कि मांग नहीं मानी तो सामूहिक रूप से इस्तीफा काम। नौकरी भी छोडऩी पड़ी तो छोड़ देंगे। वही अनोखा आंदोलन भी किया। पेरलर ओपीडी चलाएंगे। इसके नीचे अस्पताल के बाहर बैठकर टेबल कुर्सी लगाकर मैरीज को देखेंगे। यह हड़ताल तब तक चलेगी, जब तक की मांग पूरी नहीं हो जाता है। इसकी तैयारी पूर्ण कर ली है।
यह है डॉक्टरों की प्रमुख मांग
अन्य संवर्गो की तरह चिकित्सक का भी राज्य चिकित्सा सेवा संवर्ग गठित किया गया। शासकीय चिकित्सक अन्य राज्यों की तरह प्रत्येक छह साल की सेवा उपरांत नया वेतनमान पूर्व में विभागीय आदेश भी जारी किया गया था। उसके अनुसार वेतनमान अभी तक लंबित है, उनके आदेश जारी किया गया। में विषय विषय पदोन्नती में व्याप्त विसंगतियों का निराकरण करना समस्त विषयों के विशेषज्ञों के पद तर्क संगत और न्यायपूर्ण बनाकर पदों की संख्या का बंटवारा कर पदोन्नति प्रदान की जाने वाली। हाईकोर्ट द्वारा चिकित्सकों के वेतन से पता चलता है और वेतनमान की गणना नियुक्ति तिथि से करने के लिए निर्णय दिया जाता है।
करीब सात माह का समय व्यतीत होना के बाद भी आज तक सरकार ने न्यायालय के निर्णय का पालन नहीं किया है। उसे तत्काल लागू किया जाता है। चिकित्सा अधिकारियों की परिवीक्षा अवधि समय से समाप्त होने के नियम नियमकरण के आदेश नियुक्ति तिथि से प्रसारित करें। चिकित्सक संपादकीय चरमरावली समय पर पहुंचना संभव नहीं होता है। एक प्रबंधन विकसित कर सकते हैं समयावधि गोपनीय सीआर अंकित की जा सकें। संघ के कार्यालय अधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों को एक समिति गठित की यात्रा और छविह इस समिति की बैठक सर्वेक्षण अध्यक्ष के साथ हो। जिससे कि कर का निराकरण हो सकें। इसके अलावा अन्य मांग है।
चरमरा शायद है
एक साथ चिकित्सक के हड़ताल पर जाने से अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा शायद है। इसके चलते मैरीज को काफी परेशानी भी उठाना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि जिलेभर में संचालित हो रहा है सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों रोगी इलाज करने के लिए हैं। सबसे ज्यादा में गरीब मरीज रहते हैं। ऐसे में हड़ताल के चलते थेको ज्यादा तकलीफ उठाना पड़ेगी। बताओ कि जिले में 100 के बड़े बड़े डॉक्टर हैं। वही प्रतिदिन औसतन जिले की अस्पताल में ओपीडी की बात करें तो पांच हजार के पास रोगी पहुंचती है।