भगवान श्री झूलेलाल मंदिर पर आयोजित सत्संग समारोह में उपस्थित जनसमूह से उन्होंने कहा कि पहले सेवक बनना सीखे उसके बाद गुरु और उस्ताद बने जिस दिन आप सेवक बनने की कला सीख जाएंगें उस दिन से प्रभु की कृपा के पात्र बन जाएंगें तब यह समाज और लोग आपको गुरु समझने लगेंगे, आज संसार में जिन भी महापुरुषों संतों के नामों की माला जपी जा रही है वह इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, उनके जाने के कई वर्षों के बाद भी लोग उनका स्मरण कर उनके दर्शनों से लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि झुकने से कोई छोटा नहीं होता बल्कि मालिक की नजर में वो ही बड़ा होता है जो झुकना जानता है, संतश्री ने उपस्थित लोगों को सीख देते हुए कहा कि आप हर कीमत पर अपने बच्चों को नियमित रुप से मंदिर जाने की आदत डाले उन्हें मंदिर जाने की प्रेरणा दे, एक बार यदि यह काम आप अपने परिवार में करना शुरु कर देते हैं तो वे प्रभु की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन की मनचाही मंजिल प्राप्त कर सकते हैं।
बच्चों में बड़ों के चरण स्पर्श करने की आदत भी विकसित कराए अपने समाज के बड़े बुजुर्ग और रिश्तेदार और अन्य स्नेही जनों के चरण स्पर्श से आपको आशीर्वाद ही मिलता है। इससे पहले झूलेलाल मंदिर पर पहुंचने पर संतश्री का पुष्पवर्षा कर उनका आत्मीय स्वागत किया गया। संत सतराम दास मिशन अध्यक्ष ओम जादवानी और सखी बाबा आसूदाराम सेवा समिति अध्यक्ष नंद किशोर संधानी शाल श्रीफल भेंट कर संतश्री का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए चन्द्रकांत दासवानी ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।