पत्रिका द्वारा पिछले दिनों से चैंजमेकर अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के चलते पत्रिका द्वारा दिए गए एप को लोड कर लोगों ने अपना नामांकन फार्म भरा था। इसके अगले चरण में चयनित स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों ने एप पर आए आवेदनों को गंभीरता से परखा। पूरी तरह जांच के बाद कमेटी के सदस्यों ने अपनी राय और चुने गए आवेदनों पर अपनी राय रखी।
कमेटी के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता रामनरायण ताम्रकार ने बताया कि अगर पौधा स्वस्थ हुआ तो पेड़ में लगे फल भी गुणकारी होगें यह तय है। यही बात राजनीति पर भी लागू होती है। वरिष्ठ साहित्यकार पंकज सुबीर ने कहा की सबसे पहले उम्मीदवार की खुद की अपनी पहचान होना जरूरी है। इसके साथ ही लोगों को होने वाली समस्या का निदान पहले अपने स्तर पर समाधान किया जा सके। इस बात की क्षमता स्वयं में होना बेहद जरूरी है।
चिकित्सक अनीस खान ने बताया कि कई लोगे तो महज शोक और दिखावे के लिए राजनीति में उतरते है। जबकि असलियत में ऐसे लोगों को परिवार का ही वोट नहीं मिलता है। ऐसी राजनीति न करना ही बेहतर है। व्यवसाई और सोशल मिडियाकर्मी आनंद गांधी ने बताया कि समाज से जुड़ाव होना बेहद जरूरी है। पत्रिका चैंजमेकर में जिन्होने अपना आवेदन किया है। वह अब सक्रिय हो जाए। आए आवेदनों में कई लोग उर्जावान है। अगर सही तरीके से यह लोग इस क्षेत्र में जुड़कर काम करे तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं। जिससे हम समाज में एक अच्छा चेंज जल्दी ही देख सकते है।