जिले में जिला सहकारी बैंक की 99 सहकारी समितियों ने एक लाख 40 हजार किसानों को एक हजार करोड़ का ऋण दिया है। इसमें 55 हजार किसान ओवरड्यू चल रहे हैं। जिसमेंं 30 हजार वह नियमित किसान है जिन्होंने शासन की कर्जमाफी घोषणा के बाद लेनदेन नहीं किया है। किसान इसी इंतजार में लेनदेन नहीं कर पाएं कि कर्जमाफ होगा। जब कर्जमाफ नहीं हुआ तो डिफाल्टर हो गए हैं। बैंक अफसर उनको लगातार राशि जमा करने की बात कह रहे हैं। वहीं किसानों का कहना है कि फसल खराब होने से उनके पास रुपए नहीं है, जिससे यह संभव नहीं है।
क्या है लेनदेन की प्रोसेस ऐसे समझे
जिला सहकारी बैंक अधिकारियों की माने तो ऋणी किसान को हर 6 महीने में प्राथमिक शाख सहकारी समिति में लेनदेन करना होता है। जिससे कि उसका खाता रूटिन चलता रहे। किसान किसी कारणवश 6 महीने में लेनदेन नहीं कर पाया तो 12 महीने के अंदर करना ही पड़ेगा। ऐसा नहीं किया तो ओवरड्यू होकर डिफाल्टर की श्रेणी में आ जाएगा।
कर्जमाफ हुआ तो दोबारा मिलेगा ऋण
बैंक अधिकारियों के अनुसार जिन किसानों का अभी की स्थिति में कर्जमाफ नहीं हुआ है वह लेनदेन कर खाते को नियमित रखे। शासन से आदेश हुआ तो उनका भी कर्जमाफ हो जाएगा। कर्जमाफ होने के बाद बैंक से उतनी ही राशि का ऋण वापस मिल जाएगा। यह तभी संभव है जब किसान समयसीमा में लेनदेन कर खाते को चालू रखते हैं।
सरकारी-निजी बैंकों के यही हाल
जिले में सरकारी और निजी को मिलाकर 32 बैंक की 159 शाखा ने दो लाख 50 हजार किसानों को केसीसी ऋण दिया है। ऋण की राशि तीन हजार 31 करोड़ 45 लाख रुपए है। इन बैंकों में भी कई किसान केसीसी की पलटी (राशि जमा कर वापस निकलना) नहीं कर पाएं हंै।
इतने किसानों का हुआ है कर्जमाफ
कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो कर्जमाफी के पहले चरण में 50 रुपए तक का 82 हजार 328 किसानों का 306 करोड़ रुपए का कर्जमाफ हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा जिला सहकारी बैंक के 76 हजार किसान शामिल है। जिसमें नियमित 46 हजार और कलातित (एक साल से अधिक समय तक राशि जमा नहीं कराने वाले) 30 हजार किसान है।