scriptयहां जटाओं के रूप में विराजमान महादेव बाबा…. | Lord Mahadev Baba as the Jataa | Patrika News

यहां जटाओं के रूप में विराजमान महादेव बाबा….

locationसीहोरPublished: Aug 19, 2018 07:19:33 pm

Submitted by:

Manoj vishwakarma

केरी के महादेव बाबा के दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालु

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यहां जटाओं के रूप में विराजमान महादेव बाबा….

सीहोर. केरी के महादेव ऐसे हैं जहां भगवान भोलेनाथ मूर्ति नहीं बल्कि जटाओं के रूप में खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। वटवृक्ष बरगद के पेड़ ने जटाओं का आकार दिया है।जटाओं से 12 महीने पानी की एक सामान धारा बहती रहती है। जिससे पास में एक छोटे से मंदिर में विराजित शिवलिंग का अभिषेक होता है।
सीहोर से करीब ७० किमी दूर कोलार डेम व रातापानी अभ्यारण के पास सतपुड़ा की वादियों ओर ओम वेली के बीचों-बीच में केरी के महादेव विराजमान हैं। यहां का जिस तरह का नजारा है उसे मानों ईश्वर और प्रकृति ने अलग से ही रूप दिया हो। श्रद्धालु तुलसीराम परमार बताते हैं कि मंदिर से तकरीबन 100 फीट नीचे गहरी खाई में एक केरी (आम) का बड़ा पेड़ है, जहां जाना बहुत ही खतरनाक हो सकता है। इस केरी के पेड़ की वजह से इस स्थान का नाम केरी के महादेव पड़ा। इस पवित्र स्थान के पास ही एक छोटे से मंदिर में शिवलिंग विराजमान है। शिवलिंग का जलाभिषेक वटवृक्ष से निकलने वाली पानी की अविरल धारा से किया जाता है। बताया जाता हैकि देश का यह पहला स्थान है जहां पर ऐसा अद्भुत नजारा है। खास बात यह हैकि भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले की सीमा पर गहरी खाइयों, ऊंचे-नीचे पहाड़ोंं के नजारे के साथ घने जंगल के बीच है।सावन माह में यहां दर्शन करने का अलग ही महत्व बताया गया है। जब इस समय सावन माह चल रहा हैतो श्रद्धालु का पहुंचना भी जारी है।
यहां जाने का रास्ता दुर्गम और कष्ट साध्य है। इसके साथ ही क्षेत्र वन विभाग के अधीन होने की वजह से सुविधाएं सीमित हैं। यहां जाने के लिए वन विभाग की अनुमति लेना भी आवश्यक है। इस वजह से भक्तों का कम ही आना-जाना हो पाता है। इसके साथ ही घने जंगल और पहाड़ी इलाके की वजह से जंगली जानवरों का भय भी बना रहता है।
मुराद होती है पूरी

भक्त राजेश शर्मा का कहना है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके कारण दूर दूर से यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। पूरी होने पर यहां मौजूद शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। वह सालों से इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थ हर साल आते हैं। वर्ष में साल में दो बार भूतड़ी अमावस्या ओर शिवरात्रि को मेले का आयोजन होता है।
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