कागजों में दबकर रह गया ‘प्रोजेक्ट लाइफÓ, अकुशल श्रमिक से कुशल कार्यकर्ता बनने दिया जाना था प्रशिक्षण
सीहोर। यदि कोई मजदूर मनरेगा योजना के तहत सौ दिन काम कर लेगा, तो उसे स्किल डेवलपमेंट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें सरकारी और निजी उपक्रमों में नियोजित कराया जाना था।
प्रोजेक्ट लाइफ के तहत पिछले साल जून माह में इस तरह के आदेश शासन ने जारी किए। यह योजना कागजों में ही दबकर रह गईहै। जिले में वर्ष 2015-16 के वित्तीय वर्ष में तीन हजार से अधिक श्रमिकों ने सौ दिन से अधिक की मजदूरी की, लेकिन इनमें से एक को भी स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रशिक्षण नहीं मिला।
मनरेगा योजना में काम करने वाले अकुशल श्रमिक से कुशल कार्यकर्ता के रूप में परिवर्तित करने शासन ने प्रोजेक्ट लाइफ स्कीम बनाईथी। प्रोजेक्ट लाइफ से मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों के दिन फिरने वाले थे। सौ दिन तक मनरेगा में कार्य करने वाले परिवारों के किसी एक सदस्य को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाना था। प्रोजेक्ट लाइफ मनरेगा (लाइवलीहुड फुल इम्पलायमेंट) मजदूरों को आजीविका पूर्ण रोजगार योजना की शुरुआत जुलाई 2015 से होनी थी। जुलाई माह तक जिन मजदूरों ने सौ दिन काम पूरा कर लिया है, उनका सर्वे कर उनकी सूची वेबसाइट पर अपलोड भी जानी थी। इन सूचीबद्ध मजदूरों को दीनदयाल कौशल विकास योजना के तहत स्किल डेवलेपमेंट का प्रशिक्षण दिलाया जाना था। योजना के तहत मनरेगा मजदूर अपनी रुचि के मुताबिक मोटर साइकिल रिपेयरिंग सहित अन्य तकनीकी विधाओं का प्रशिक्षण ले सकते थे। साथ ही प्रशिक्षण के बाद इन्हें बैंकों से जोड़कर स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहयोग भी दिया जाना था। सरकार का प्रयास मनरेगा पर काफी हद तक आत्मनिर्भर श्रमिकों के लिए जीवन स्तर में सुधार लाना है।
एक भी मजदूर को नहीं मिला लाभ
जिले में प्रोजेक्ट लाइफ के तहत एक भी मजदूर को लाभ नहीं मिला। जिले में पिछले वित्तीय वर्ष में 3381 परिवारों ने सौ दिन पूर्ण किए। इनमें से कई श्रमिक कौशल विकास का प्रशिक्षण लेने के इच्छुक भी थे, लेकिन जिला पंचायत के माध्यम से इस योजना पर पूरी तरह से अमल ही शुरू नहीं हो सका। इस संबंध में ग्राम महोडिय़ा तुलसी राम, विनोद, राजेश आदि ने बताया कि उन्होंने सौ दिन का काम मनरेगा में किया। उन्हें कौशल उन्नयन के संबंध में किसी ने कोई जानकारी ही नहीं दी। सेवनिया के महेश वर्मा, रामसिंह ने बताया कि मजदूरों के शासन क्या योजना चला रहा है। इसकी कोई जानकारी देने वाला ही नहीं होता है। श्रमिक तो बस काम करने के ही लिए बने हैं।
इनका होना था कौशल विकास
पिछले वित्तीय वर्ष में 100 दिन कार्य करने वाले परिवार के इच्छुक युवा सदस्यों में से किसी एक सदस्य को इसका लाभ दिया जाना था। योजना के तहत पात्रता की उम्र 18 से 35 साल थी। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा महिला सदस्य के लिये अधिकतम उम्र सीमा 45 वर्ष तय की गई थी।