राज्य शासन ने सरकारी अस्पताल की व्यवस्था सुधार और मरीजों को गूणवत्ता पूर्ण तरीके की सुविधा देने मापदंड निर्धारित किया है। इसमें पहला लक्ष्य, दूसरा कायाकल्प और तीसरा एनक्यूएस (नेशनल क्वालिटी एस्सूरेंस स्टेंडर्ड) शामिल है। निरीक्षण दल अस्पतालों में जांचकर इनके तहत ही अंक प्रदान करता है।
भोपाल से आएं दल ने की थी जांच
अगस्त महीने में स्वास्थ्य विभाग भोपाल से आएं डॉक्टर फेहरूद्दीन और डॉक्टर हर्षिता ने लक्ष्य में जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। इसमें लेबर रूम में प्रसूता की टैबल संख्या कितनी है और उनके बीच गेप कितना है। रूम में साफ सफाई, स्टूमेंट कितने हैं, ऑक्सीजन सिलेंडर में गैस है या नहीं, क्यूबिकल फार्म में कटर लगे हैं या नहीं, प्रसूता की जटिल प्रक्रिया को लेकर क्या स्थिति है सहित अन्य जानकारी ली थी। नवंबर में कायाकल्प में डॉ. बलराम उपाध्याय और अनिता दुगाया ने फिर अस्पताल का निरीक्षण किया था। इसमें आपातकालीन कक्ष, साफ सफाई और अन्य जानकारी ली थी। लक्ष्य और कायाकल्प की अंतिम रिपोर्ट अब आई है। जबकि तीसरी एनक्यूएस की रिपोर्ट आना बाकी है।
७०० तक पहुंचती है संख्या
जिला अस्पताल में हर महीने ५०० से ७०० अधिक प्रसूती महिलाओं को डिलेवरी के लिए लाया जाता है। इसमें ८० से १०० महिलाओं की सीजर (ऑपरेशन) से डिलेवरी होती है। कई बार यह आंकड़ा बढ़ जाता है।
प्रथम स्थान मिला है
जिला अस्पताल को लक्ष्य में मेटरनिटी और लेबर रूम मेें प्रथम स्थान मिला है। कायाकल्प में सातवां स्थान मिला है। हमारा प्रयास है कि आगे भी इसी तरह से अच्छा कार्य कर बेहतर बने रहे।
डॉ. आनंद शर्मा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल सीहोर