इसके बाद वे नर्मदा और किसानी बचाओ जंग की हुंकार के लिए मंदसौर रवाना हो गई। इससे पहले उन्होंने यहां किसानों और कार्यकर्ताओं की बैठक ली, जिसमें सीहोर से अनेक किसान और कार्यकर्ता शामिल हुए।
वहीं नर्मदा और किसानी बचाओ जंग की हुंकार यात्रा के लिए मंदसौर जाने के पूर्व गांधी पार्क में पत्रिका से चर्चा करते हुए मेघा पाटकर ने यात्रा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नर्मदा की मप्र की धारा की अविरलता, प्राकृतिक निरंतरता के साथ जीवनधारा को बचाने संगठित नीति निर्धारकों से सवाल किए जाएंगे। इसी तरह आज देश में किसानी याने प्राकृतिक संसाधनों पर जीने वाले सभी समुदाय, अपनी आजीविका एक घाटे का सौदा होने के कारण संसाधन, विशेषत: कृषि भूमि भी खो रहे हैं।
आत्महत्या या संसाधन और ऐसे समुदाय की हत्या इसी का नतीजा है। यात्रा में कर्ज माफी की इस अहम मांग पुरजोर रूप से उठाई जाएगी। इस तरह रहेगा नर्मदा और किसानी बचाओं जंग कार्यक्रम के संबंध में पाटकर ने बताया कि 28 मई से कार्यक्रम शुरू होगा। 28 मई को महाराष्ट्र व गुजराज के आदिवासी किसान, मछुआरे शामिल होंगे।
28 से 31 मई तक यात्रा इंदौर तक पहुंचेगी। एक जून को आष्टा से सीहेार तक आमसभा होगी। इसके बाद पैदल यात्रा से गांव-गांव में सभाओं के बाद गांधी, नगर भोपाल में पहुंचेगी। ४ जून को भोपाल में जन अदालत में अपनी बात रखी जाएगी और उसमें उपस्थित भूतपूर्व न्यायाधीशों की पैनल अपना फैसला सुनाएगा।
5 जून को मंदसौर के शहीदों व किसानों का न्याय के लिए गुहार व उपवास किया जाएगा। इस अवसर मेघा पाटकर के अलावा विश्वास बगवैया, केपी सिंह बघेल, रमाकांत शर्मा, जयंत दासवानी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।