उन्होंने आगे कहा कि भागवत सर्वोच्च जीवन जीने की कला सिखाती है। संमार्ग की शिक्षा देती है। प्रभु भक्ति, परमार्थ और सत्कर्म की प्रेरणाशक्ति है। जीवन में अंधकार से मुक्ति के लिए अमृत कथा संजीवनी है। माया, मोह और विषय वासना का त्याग कठिन है। जब तक इन पर अंकुश नहीं लगता, तब तक मुक्ति और शांति नहीं मिलती। आशक्ति केवल ईश्वर में रखनी चाहिए। मोह माया में नहीं।
धूमधाम से मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
कथा के दौरान सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मोतसव की सुंदर झांकी के साथ उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर संगीतवादक पं. योगेश शर्मा ने सुंदर भजनों की सुंदर प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान आलकी के पालकी, जय कन्हैया लाल की… के जयकारों से पूरा कथा प्रांगण गुंजायमान हो उठा। कथा सुनने मंगलवान को ग्राम सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
‘माता-पिता को न दिखाएं सफलता का रोब
कालापीपल. अपनी सफलता का रोब कभी अपने माता-पिता को नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन हारकर तुम्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। यह बात न्यू बस स्टैंड पर चल रही नानी बाई का मायरा में कथा वाचन में अलकनंदा दीदी ने कही। कथा का तीसरे दिन कथावाचक अलकनंदा दीदी ने नरसिंह एवं भगवान श्री कृष्ण की कथा सुनाई। भगवान श्री कृष्ण ने सुतार का रूप बनाकर नरसिंह की गाड़ी सुधारी और उन्हें अंजार नगर पहुंचाया। उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा सबको अपनाता है। संसार में योग्यता चलती है, किंतु भगवान आयोग्य को भी अपनाते हैं। इस अवसर पर गाड़ी में बैठा लो रे बाबा जानो नगर अनजान, सांवली सूरत पर मोहन दिल दीवाना हो गया भजन पर श्रोता जमकर झूमे। भैरव चौक पर चल रहे नानी बाई के मायरे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक रही है। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण, रुकमणी, हनुमान सहित अन्य देवताओं की झांकी का आनंद भी श्रोता ले रहे हैं।
शाहगंज. मन की शांति ही जीवन का सुख है। अगर आपके मन में शांति का वास नहीं है तो आप कितने भी धनवान बन जाएं, लेकिन आपके मन को शांति कभी नहीं मिलेगी। मानव जीवन में सत्संग जरूरी है। जिस प्रकार भूख लगने पर भोजन से तृप्ति मिलती है, उसी प्रकार आत्मा के लिए सत्संग जरूरी है। यह बात नर्मदा तट बनेटा कुटी पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा वाचक पं. जितेन्द्र पाठक ने कही। कथा सुनने प्रतिदिन बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित हो रहे हैं।