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सीएम के क्षेत्र से किसान बोले लागत दाम बढ़ाने के नाम पर थमाया लॉलीपाप !

locationसीहोरPublished: Jul 07, 2018 01:05:33 pm

कहा- समर्थन मूल्य बढ़ाया, लेकिन फसलों के बाजार भाव अभी भी तय नहीं!

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सीएम के क्षेत्र से किसान बोले लागत दाम बढ़ाने के नाम पर थमाया लॉलीपाप !

सीहोर@सुनील शर्मा की रिपोर्ट…

हाल ही में बढ़ाए गए समर्थन मूल्य पर तरह-तरह के सवाल किसानों ने खड़े किए हैं। किसानों का कहना है कि इन्हीं फसलों पर एक साल पहले समर्थन मूल्य तय किए गए थे बावजूद किसानों को संबंधित फसल के सही दाम नहीं मिल पाए न ही समर्थन मूल्य से ऊपर कभी भाव पहुंचे। यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है कि किसानों को किस तरह का फायदा सरकारें देना चाहती हैं?
सरकार ने प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP(एमएसपी) में भले ही बढ़ोतरी कर दी हो, लेकिन बाजार में उसी फसल का क्या दाम होगा यह तय नहीं है? आयात-निर्यात में कमी के कारण तीन-चार सालों से कृषि बाजार में आई मंदी से किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता। सरकारें समर्थन मूल्य या भावांतर भुगतान के दायरे में बांधकर एक निश्चित राशि या उसका अंतर किसानों को लुभाने दे देती है।
किसानों का कहना है कि खरीफ पर लागत मूल्य बढ़ाने के नाम पर किसानों को ठगा गया है। खेती को लाभ का धंधा बनाने सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन वास्तविकता की धरातल पर लागत मूल्य किस दर पर निकाली गई है, यह किसानों की समझ से परे है।
आपदा के समय होने वाले नुकसान की लागत किस तरह निकाली जाएगी यह बात किसानों को समझ नहीं आ रही है।

खरीदी के दौरान भाव में मंदी, बोवनी में तेजी
किसानों की उपज के साथ हमेशा रहा है कि उन्हें शासन द्वारा निर्धारित खरीदी की समयावधि के दौरान बेहतर भाव नहीं मिल पाते। अंतर राशि और समर्थन मूल्य का दाम भी कम से कम ही मिल पाता। यानीं समर्थन मूल्य से ऊपर उपज के दाम निकले ही नहीं। यदि भाव बढ़ते भी हैं तो बुआई के दौरान जब कि किसान को इसकी जरूरत होती है। किसानी की बिक्री और मार्केट में खरीदी के दौरान कृषि बाजार हमेशा मंदी के दौर में ही रहा है।

किसान रात-दिन मेहनत करते हैं। कई बार कर्ज लेकर बोवनी करनी पड़ती है। खेती की लागत से के हिसाब से दाम नहीं बढ़ाने से किसानों को अधिक लाभ नहीं पहुंचेगा। इससे किसानों को कोई खास लाभ नहीं होगा।
– महेन्द्र वर्मा किसान, ग्राम बरख़ेड़ी
खेतो को संवारने से लेकर फसल कटाई तक किसानों के सामने कई समस्याएं आती हंै। आए दिन कृषि से संबधिंत संसाधनों की कीमतें बढ़़ा दी जाती है। इसके मुकाबले यह लागत मूल्य कम है।
– कचरू सिंह, ग्राम दिवडिय़ा
वर्तमान में बिगड़ते मौसम के चलते कई बार खेत की फसलें खेतों में ही खराब हो जाती है। ऐसे में किसानों को अर्थिक सहायता पाने में ही पसीना निकल जाता है।
– मेहरबान सिंह मेवाड़ा, किसान आष्टा
किसानों की मेहनत और खेतों में खर्च को ध्यान में रखते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाने कीमतें दोगनी की जानी चाहिए थी। तब कहीं जाकर किसानों को उनका हक पूरी तरह मिल पाता।
– राम सिंह किरार, किसान श्यामपुर
बाजार के भाव आवक और मांग के ही हिसाब से चलते हैं। मंडी में समर्थन मूल्य कुछ भी हो, लेकिन व्यापारियों का भाव बाजार से तय होता है। हम उसी भाव में खरीदते हैं जो भाव राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मंडियां तय करती हैं।
– जितेन्द्र राठौर, अध्यक्ष, व्यापारी एसोसिएशन मंडी
प्रमुख उपज जिनके समर्थन मूल्य में हुई ये वृद्धि…
उपज : 2017-18 : 2018-19
सोयाबीन : 3050 : 3399
मक्का : 1425 : 1700
तिल : 5300 : 6249
मंूगफली : 4450 : 4890
अरहर : 5450 : 5675
मंूग : 5575 : 6975
उड़द : 5400 : 5600
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