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अपने इस नेक काम से प्रेरणास्त्रोत बनें युवा, कलेक्टर ने भी लिया यह संकल्प

locationसीहोरPublished: Aug 29, 2018 12:26:53 pm

अपने इस नेक काम से प्रेरणास्त्रोत बनें युवा, कलेक्टर ने भी लिया यह संकल्प

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अपने इस नेक काम से प्रेरणास्त्रोत बनें युवा, कलेक्टर ने भी लिया यह संकल्प

सीहोर। क्या कभी आपने सोचा है कि नश्वर शरीर भी आपको अमर कर सकता है। जीवनभर प्रमुख पर्वो व अनुष्ठानों पर किए गए दानों में महादान होता है देह का दान। सांस थमने के बाद शरीर का दान करने वाला ही दुनिया की नजरों में महान बनता है। युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत युवा कलेक्टर तरूण कुमार पिथौड़े ने अपने जन्म दिवस पर यह मिशाल पेश की।

अंगदान सबसे बड़ा दान है। इसकी मदद से इंसान कई जिंदगियों को जीवनदान दे सकता है। कलेक्टर तरूण कुमार पिथौड़े ने अपने जन्म दिवस को यादगार बनाने कुछ इसी भावना से अभिभूत होकर देहदान का संकल्प लिया। अंगदान का मतलब है कि किसी शख्स से स्वस्थ अंगों और टिशूज़ को लेकर इन्हें किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिया जाए। इस तरह अंगदान से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है। जानकारों के अनुसार मोटे तौर पर एक शख्स के अंगदान से अधिकतम 50 जरूरतमंद लोगों की मदद हो सकती है।

युवाओं को प्रेरित करने नहीं छोड़ते कोई मौका
कलेक्टर तरण कुमार पिथोड़े युवाओ के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी वे कई अनुकरणीय कार्य कर चुके हैं। मंगलवार को उन्होंने अपने जन्म दिन पर अनुकरणीय पहल करते हुए अपना देहदान कर दिया। उन्होंने अपने देह के साथ पूरा शरीर रिसर्च सेंटर के हवाले करने क निर्णय लिया है। उनके इस फैसले से कई लोग प्रेरित होंगे और कई अन्य अनुकरणीय कार्य करेंगे। इस संबंध में कलेक्टर ने कहा कि अंगदान सबसे बड़ा दान है। जीते-जी मदद के साथ मरने के बाद भी मदद करने की भावना को लेकर उन्होंने यह संकल्प लिया।

कितनी तरह का अंगदान
– विशेषज्ञों के अनुसार एक होता है अंगदान और दूसरा होता है टिशू का दान। किडनी, लंग्स, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन, पैंक्रियाज़ आदि तमाम अंदरूनी अंगों का दान अंगदान के तहत आता है। टिशू दान में आंख, हड्डी और स्किन का दान आता है।

– ज्यादातर अंगदान किसी शख्स की मौत के बाद होते हैं लेकिन कुछ अंग और टिशू इंसान के जिंदा रहते भी दान किए जा सकते हैं। इनमें सबसे कॉमन अंग है किडनी, क्योंकि दान करने वाला शख्स एक ही किडनी के साथ सामान्य जिंदगी जी सकता है। लंग्स और लिवर के भी कुछ हिस्से को जीवित शख्स दान कर सकता है। लिवर के पास फिर से खुद को तैयार करने की क्षमता होती है इसलिए एक छोटे हिस्से से ही पूरा लिवर तैयार हो सकता है।

– मरने के बाद किए जाने वाले अंगदान में सबसे कॉमन है आंखों का दान, क्योंकि घर पर होने वाली सामान्य मौत के मामले में सिर्फ इन्हें ही दान किया जा सकता है। बाकी कोई भी अंग तभी दान किया जा सकता है, जब इंसान की ब्रेन डेथ हो गई हो और उसे वेंटिलेटर या लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ले लिया गया हो।

कौन कर सकता है
कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है। उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नवजात बच्चों से लेकर 90 साल के बुजुर्ग तक अंगदान कर सकते हैं। हालांकि 18 साल से 65 साल तक की उम्र में अंगदान करना ज्यादा सही है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अंगदान के लिए फॉर्म भरने से पहले अपने मां-बाप की इजाजत लेना जरूरी है। जहां तक जीवित शख्स के अंगदान (किडनी या लिवर) की बात है तो करीबी रिश्तेदार ही दान कर सकते हैं।

इनमें माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, बच्चे शामिल हैं। अगर इनमें से कोई डोनर नहीं हो सकता तो कुछ और रिश्तेदार भी दान कर सकते हैं। इनमें दादा-दादी, नाना-नानी, मामा, मौसी, चाचा, ताऊ, पोता-पोती, चचेरे-ममेरे भाई-बहन आदि शामिल हैं। इन मामलों में रिश्ता साबित करने के अलावा यह भी साबित करना होता है कि दोनों के बीच में प्यार और आत्मीयता का गहरा संबंध है।

किन-किन अंगों का दान
1. आंखें – 2
2. किडनी – 2
3. हार्ट
4. लिवर
5. पैनक्रियाज़
6. छोटी आंत (इंटेस्टाइन)
7. फेफड़े (लंग्स)
8. त्वचा (स्किन)

नोट- यूं तो 8 अंगों या टिशू का दान होता है लेकिन एक डोनर से कुल 50 तरह के ट्रांसप्लांट होते हैं जैसे कि हड्डियां, हार्ट वॉल्व, हैंड आदि को भी ट्रांसप्लांट किया जाता है।

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