कालापीपल तहसील के ग्राम मम्मदपुर निवासी 34 साल के मंगलेश पिता शिवनरायण की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। जिसे उपस्वास्थ केन्द्र कालापीपल ले जाया गया था। जहां से सीहोर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। 11 बजे के करीब डॉक्टर द्वारा जांच के बाद मंगलेश को मृत घोषित कर दिया गया। जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम रूम तक ले जाने के लिए परेशान होना पड़ा। मृतक के भाई अशोक चंन्द्रवंशी ने बताया की कोतवाली थाने में भी सूचना दी गई।
वहीं चंद कदमों की दूरी पर नपा के स्वास्थ्य विभाग में शव वाहन भी खड़ा था। मगर वाहन का कर्मचारी मौजूद नहीं था। परिजन दो घंटे से अधिक शव वाहन के लिए परेशान होते रहे मगर वाहन नहीं मिला। इिसके बाद निजी वाहन की व्यवस्था कर पोस्टमार्टम रूम तक शव को ले जाया गया।
हर बार शव हो पीएम कक्ष तक ले जाने होती है परेशानी यह पहला मामला नहीं है। जब शव को लेजाने के लिए शव वाहन नहीं मिला हो। इससे पहले भी कई बार यह हालात बनते रहे हैं। आठ दिन पूर्व की शव वाहन नहीं मिलने से परिजनों को शव को स्टे्रचर से ले जाना पड़ा था, जिसके कारण परिजन तो परेशान हुए ही थे। मानवता को शर्मसार होते दृश्य को हर किसी ने देखा था। पिछले एक माह में इस तरह के आधा दर्जन अधिक बार पोस्टमाटर्म तक ले जाने के लिए परिजनों को शव वाहन नहीं मिल सका।
नपा के स्वास्थ्य विभाग में खड़ा हुआ है वाहन 15 अगस्त को डीजल पेट्रोल विक्रेता ऐसोशिएसन ने मानवता दिखाते हएु जिला अस्पताल को शव वाहन दान किया था। जिसे नपा के हैंडओवर कर दिया गया था। जहां कुछ दिनों तक तो इस वाहन से शवों को लाया ले जाया गया। मगर अब तक इस वाहन पर स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई। अस्थाई कर्मचारी के भरोसे वाहन को छोड़ दिया गया जो इस वाहन पर नजर ही नहीं आता है। 24 घंटे एक ही कर्मचारी के नियुक्त होने से कहीं बार कर्मचारी अवकाश पर रहता है तो कई बार बहाने बताकर गायब हो जाता है।
इनका कहना है शव वाहन को लेकर कोई समस्या नहीं है। शव वाहन शहरी क्षेत्र के लिए है। इस सबंध में कलेक्टर से बात कर व्यवस्था की जाएगी। सुधीर कुमार सिंह, सीएमओ नपा,सीहोर