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ओडीएफ: जिला पंंचायत की टीम ने तीन गांव का किया दौरा, स्वच्छता की हकीकत आई सामने

locationसीहोरPublished: Feb 19, 2019 11:23:09 am

ओडीएफ जिले में अधूरे मिले शौचालय

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Sehore. Incomplete toilet in Blackpool

सीहोर. ओडीएफ जिले में शौचालय अधूरे पड़े हैं और लोग खुले में शौच जा रहे हैं। इस बात का खुलासा सोमवार को जिला पंचायत की टीम के निरीक्षण से हुआ है। सोमवार को जिला पंचायत की टीम ने आष्टा ब्लॉक की ग्राम पंचायत सिद्दीकगंज, बरखेड़ी, सामरीबौंदा, कवटिया नाला, टीबूपुरा और गुराडिय़ावर्मा गांव का निरीक्षण किया। यहां पर कई जगह शौचालय अधूरे मिले। अधूरे शौचालय देखकर स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक विकास वाघड़े और ब्लॉक समन्वयक गौरव राठौर ने अधूरे शौचालय देख नाराजगी व्यक्त की और शौचालय का निर्माण पूरा कर उपयोग करने के लिए समझाइश दी।

स्वच्छ भारत मिशन को लेकर जिला पंचायत का अमला हरकत में पत्रिका की मुहिम ‘ओडीएफ का सपना अधूराÓ के बाद आया है। जिले को ओडीएफ घोषित कराने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के नाम पर पूरी की गई औपचारिकता के सामने आने के बाद अफसर सख्ते में हैं। सबसे पहले सिद्दीकगंज की सामरीबौंदा और सीहोर जनपद पंचायत की जहागीरपुरा ग्राम पंचायत में शौचालय के नाम पर औपचारिकता पूरी करने का मामला सामने आया है, इसके बाद सीहोर शहर और फिर आष्टा ब्लॉक की कल्याणपुरा ग्राम पंचायत में हुए फर्जीवाड़े की हकीकत सामने आई।

सोमवार को पत्रिका टीम ने हसनाबाद ग्राम पंचायत के कालापहाड़ (ऊजडख़ेड़ा) में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाई गए शौचालय की हकीकत देखी। यहां पर 50 फीसदी से ज्यादा शौचालय अधूरे पड़े हैं। हितग्राही अभी तक पंचायत से शौचालय निर्माण की राशि पूरी नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। हितग्राहियों ने आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत ने पूरा पैसा नहीं दिया, जिसके चलते शौचालय का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। शौचालय नहीं बनने के कारण खुले में शौच जाना मजबूरी है।

70 फीसदी शौचालय अधर में लटके
ग्राम पंचायत हसनाबाद के कालापहाड़ गांव में करीब दो सौ की आबादी निवास करती है। यहां पर 30 परिवार हैं। शौचालय तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी के घर बनाए गए हैं, लेकिन अधिकांश के शौचालय अधूरे पड़े हैं। हितग्राहियों ने बनाया कि जिस समय जिला और जनपद पंचायत की टीम शौचालय निर्माण देखने आ रही थी उस समय तो पंचायत सचिव और सरपंच लगातार शौचालय निर्माण कराने के लिए दबाव बना रहे थे, लेकिन जब हमने शौचालय का निर्माण शुरु किया तो पहली किस्त हमारे खाते में आ गई। दूसरे किस्त अभी तक खाते में नहीं आई है। शौचलय अधूरे पड़े हैं।

कई जगह गड्ढा खुदने के बाद ही रुक गया काम
कालापहाड़ में करीब एक दर्जन घरों में शौचालय से छत और दरवाजे गायब हैं। कुछ ने सीट को हटाकर शौचालय को दूसरे कामों में उपयोग करना शुरु कर दिया है। कुछ के शौचालय में ताले लटके हुए हैं। हितग्राही भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि वह शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं।

-कौन क्या कहता है:
-ग्राम पंचायत ने शौचालय बनाने की कहा, हमने शौचालय बना लिया। करीब 16 हजार रुपए का खर्चा आया। हमें करीब 12 हजार मिलने थे, लेकिन 9 हजार रुपए ही मिले हैं।

मुस्ताक खां, हितग्राही

– हमने कर्ज पर रुपए लेकर शौचालय का निर्माण किया। अभी तक पांच हजार रुपए मिले हैं। सात हजार की राशि अभी तक नहीं मिली है, इसलिए शौचालय का निर्माण अधर में लटका है।

कल्लू बी, हितग्राही

-हमने उधार पैसे लेकर शौचालय बनाया, अभी तक एक रुपए भी नहीं मिला। हमारे पैसे भी अटक गए और लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

भूरा खां, हितग्राही


– आष्टा ब्लॉक के कुछ गांव का दौरा कर प्रधानमंत्री आवास और शौचालय देखे हैं। यह मोटीवेशन की योजना है। हितग्राहियों को शौचालय का उपयोग करने के लिए मोटीवेट किया है। कालापहाड़ का जो मामला आप बता रहे हैं उसकी जांच कराई जाएगी।

विकास वाघड़े, जिला समन्यक स्वच्छ भारत मिशन सीहोर

 

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