खेड़ापति निवासी परमानंद पिता राधेश्याम गोस्वामी ने आष्टा पुलिस को बताया कि पदमसी निवासी धीरज पिता कैलाश कन्नौद मार्ग पर वैष्णवी नगर स्थित आरामशीन के पास ट्रैक्टर-ट्राली का पहिया बदल रहा था। इसी दौरान तेज रफ्तार से आ रही कार के चालक दिनेश जाजपुरिया ने उसे टक्कर मार दी।
भोपाल-इंदौर हाइवे, आष्टा-कन्नौद मार्ग और आष्टा शुजालपुर मार्ग पर हादसों का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इन मार्गो पर आए दिन दुर्घटना होना आम बात हो गई है। सबसे ज्यादा हादसे वाहनों की रफ्तार के कारण हो रहे हैं। इसे लेकर जिम्मेदारों ने अभी तक कोई पहल नहीं की है।
वहीं दूसरी ओर शहर में तेज रफ्तार से दौड़ती बसें हादसों का अंदेशा लगातार बढ़ाती जा रही हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा खतरनाक फोरलेन हाइवे पर दौड़ रही वॉल्वो और चार्टर्ड बस हैं। सड़कों पर इनकी गति इतनी तेज रहती है कि काबू पाना मुश्किल हो जाता और कई बार घटना तक घट जाती है। बसों की रफ्तार से हो रही घटनाओं के बावजूद संबंधित विभाग इस ओर ध्यान देता नहीं दिख रहा है।
विभाग द्वारा की जा रही इसी लापरवाही के चलते दो सप्ताह के अंदर दो बड़े हादसो में एक की मौत और आधा दर्जन लोग घायल हो चुके हैं। जबकि दस महीने में आधा दर्जन लोगों की ऐसे हादसों में जान जा चुकी हैं। वहीं दर्जनों को हॉस्पिटल का मुंह देखना पड़ा। इनकी देखादेखी शहर के अन्य बस संचालक भी इनके जैसे ही शहर में बसों को रफ्तार देने में लगे हुए हैं।
– वाहन में स्पीड गर्वनर होना अनियार्य है।
– न्यूमतम 60 व अधिकतम 80 की स्पीड मेें चला सकते हैं वाहन।
– फस्र्ट एड बॉक्स, महिला रिजर्व सीट अनिवार्य है।
– किराया सूची, हेल्पलाइन नंबर लिखा होना जरूरी है।
– बसों में दो गेट व एक विन्डोव अनिवार्य है।
– क्षमता से अधिक सवारी भरकर दौड़ाना।
– रफ्तार की लिमिट तय होने के बाद भी उससे कई गुना ज्यादा चलाना।
– रफ्तार पर लगाम लगाने यातायात विभाग की तरफ से अनदेखा करना।
– सवारी बैठाने के बाद दूसरी बस को ओवरटेक करना।