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सीहोर

ट्रैक्टर के टायर बदल रहे युवक को कार नेे मारी टक्कर, मौत

अंधी रफ्तार से आ रही थी कार, आष्टा के कन्नौद रोड पर हुआ हादसा।

सीहोरSep 17, 2017 / 03:43 pm

दीपेश तिवारी

accident
सीहोर/आष्टा। ट्रैक्टर-ट्राली का पहिया बदल रहे एक युवक के लिए अंधी रफ्तार से आ रही कार काल बनकर आ गई। कार ने जोरदार तरीके से युवक को टक्कर मार दी। उसे गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां उसकी मौत हो गई। वहीं एक अन्य भी घायल हो गया। घटना शनिवार-रविवार की रात जिले के आष्टा-कन्नौद मार्ग पर घटी।

खेड़ापति निवासी परमानंद पिता राधेश्याम गोस्वामी ने आष्टा पुलिस को बताया कि पदमसी निवासी धीरज पिता कैलाश कन्नौद मार्ग पर वैष्णवी नगर स्थित आरामशीन के पास ट्रैक्टर-ट्राली का पहिया बदल रहा था। इसी दौरान तेज रफ्तार से आ रही कार के चालक दिनेश जाजपुरिया ने उसे टक्कर मार दी।
टक्कर से युवक घायल हो गया और उसे इलाज के लिए सिविल अस्पताल लाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना में एक अन्य युवक के घायल होने की भी बात सामने आई है। पुलिस ने कार चालक के खिलाफ प्रकरण कायम कर जांच में लिया है।
नहीं थम रहे हादसे :
भोपाल-इंदौर हाइवे, आष्टा-कन्नौद मार्ग और आष्टा शुजालपुर मार्ग पर हादसों का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इन मार्गो पर आए दिन दुर्घटना होना आम बात हो गई है। सबसे ज्यादा हादसे वाहनों की रफ्तार के कारण हो रहे हैं। इसे लेकर जिम्मेदारों ने अभी तक कोई पहल नहीं की है।
तेज रफ्तार ने बढ़ाया हादसों का ग्राफ :
वहीं दूसरी ओर शहर में तेज रफ्तार से दौड़ती बसें हादसों का अंदेशा लगातार बढ़ाती जा रही हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा खतरनाक फोरलेन हाइवे पर दौड़ रही वॉल्वो और चार्टर्ड बस हैं। सड़कों पर इनकी गति इतनी तेज रहती है कि काबू पाना मुश्किल हो जाता और कई बार घटना तक घट जाती है। बसों की रफ्तार से हो रही घटनाओं के बावजूद संबंधित विभाग इस ओर ध्यान देता नहीं दिख रहा है।

विभाग द्वारा की जा रही इसी लापरवाही के चलते दो सप्ताह के अंदर दो बड़े हादसो में एक की मौत और आधा दर्जन लोग घायल हो चुके हैं। जबकि दस महीने में आधा दर्जन लोगों की ऐसे हादसों में जान जा चुकी हैं। वहीं दर्जनों को हॉस्पिटल का मुंह देखना पड़ा। इनकी देखादेखी शहर के अन्य बस संचालक भी इनके जैसे ही शहर में बसों को रफ्तार देने में लगे हुए हैं।
जानकारों के अनुसार भोपाल-इंदौर हाइवे फोरलेन सड़क बनने के बाद लगा था कि आवाजाही सरल होकर हादसों का ग्राफ कम होगा। ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन इसके विपरीत अंधी रफ्तार के कारण हादसों का ग्राफ जरूर तेजी से बढ़ा है। हर दिन इस मार्ग पर हादसे होना कोई नई बात नहीं रह गई है। एक तरफ दुर्घटना घट रही है तो दूसरी तरफ चार्टर्ड और वाल्वो बस संचालक मनमनी करने में लगे हुए हैं। यह बस सड़क पर फर्राटे भरकर हादसो को बढ़ावा देने में लगी है।
बावजूद इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके अलावा सड़क पर दौड़ रही अन्य बसों के कारण भी दुर्घटनाएं घट रही है। पहले सवारी बैठाने के चक्कर में लेट किया जाता है और बाद में समय पूरा करने दौड़ाया जाता है। बस की अधिकतम रफ्तार 80 किमी तय की है, लेकिन 100 से भी अधिक की रफ्तार से दौड़ाया जाता है।
जिले में करीब दौ सौ से अधिक बस सड़कों पर चल रही है। इनमें से कुछ बस ही नियमों का पालन कर रही है। इसी प्रकार कई छोटे वाहन भी अनदेखी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
ये हैं विभाग के नियम:
– वाहन में स्पीड गर्वनर होना अनियार्य है।
– न्यूमतम 60 व अधिकतम 80 की स्पीड मेें चला सकते हैं वाहन।
– फस्र्ट एड बॉक्स, महिला रिजर्व सीट अनिवार्य है।
– किराया सूची, हेल्पलाइन नंबर लिखा होना जरूरी है।
– बसों में दो गेट व एक विन्डोव अनिवार्य है।
हादसों की यह बन रही है वजह :
– क्षमता से अधिक सवारी भरकर दौड़ाना।
– रफ्तार की लिमिट तय होने के बाद भी उससे कई गुना ज्यादा चलाना।
– रफ्तार पर लगाम लगाने यातायात विभाग की तरफ से अनदेखा करना।
– सवारी बैठाने के बाद दूसरी बस को ओवरटेक करना।

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