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रोजगार के नहीं विकल्प, बेरोजगार घूम रही जनता

locationसीहोरPublished: Sep 17, 2018 07:03:06 pm

लोगों ने पत्रिका एजेंडे में खुलकर रखी अपनी बात

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रोजगार के नहीं विकल्प, बेरोजगार घूम रही जनता

सीहोर। रोजगार के कोई विकल्प नहीं है। पहले जितनी औद्योगिक इंडस्ट्रीज थी, वह बंद हो गई है। आज हाल यह है कि युवक बेरोजगार घूम रहे हैं। कई ओवरऐज हो गए हैं, इससे उनके सामने कई तरह की कठिनाइयां खड़ी हो गई है।

स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल होने के साथ पानी के पर्याप्त इंतजाम नहीं है। मूलभूत सुविधाओं का अभाव अलग बना हुआ है। सड़कों की स्थिति खराब होने के साथ कई समस्या ऐसी है जिनका आज तक निराकरण नहीं हो सका है। यह सब बातें पत्रिका के जन एजेंडा कार्यक्रम के तहत सोमवार को पत्रिका कार्यालय सीहोर में सीहोर विधानसभा क्षेत्र की बैठक का आयोजन किया गया।


बैठक में चेंजमेकर, वालेन्टियरर्स, प्रबुद्ध नागरिकों एवं युवा मतदाताओं ने भाग लिया। बैठक मेें राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं विधानसभा स्तरीय कई मुद्दों पर विचार मंथन किया गया। जिसमेंं अधिकांश वक्ताओं ने नेताओं की योग्यता व प्रशिक्षण और प्रमुख नदी-नालों का संरक्षण पर जोर दिया, तो कई वक्ताओं ने विकास की स्थाई व्यवस्था पर ध्यान देने की बात कही। इसमें सभी ने अपनी बात को प्राथमिकता से रखा।

 

जनता तय करें प्रत्याशी, नेताओं को ट्रेनिंग देने की जरूरत
राजनीति मेें जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए और स्थाई विकास हो। यह सब तभी संभव होगा जब पार्टीगत प्रत्याशी की जगह जनता की ओर से कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में होगा।
नेता वही कहलाएगा जो जनता को समझेगा और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाएगा। अब जरूरत इस बात की है उम्मीदवार बनाने की प्रक्रिया को कठिन बनाया जाए, क्योंकि सरल व सहज ढ़ंग से बने प्रत्याशियों की वजह से हमारी समस्याएं यथावत बनी हुई है। जनप्रतिनिधियों के कार्यों की हर महीने मॉनीटरिंग होनी चाहिए।

क्या कहा लोगों ने
व्यवसायी गोपाल सोनी ने कहा कि चुनाव के समय पार्टी घोषणा तो कई करती है, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाती है। उसकी हकीकत शहर में देखी जा सकती है। यहां पानी, औद्योगिक क्षेत्र आदि की कमी बहुत समय से खल रही है। इससे लोग बेरोजगार घूम रहे हैं।

व्यवसायी विष्णु प्रजापति ने कहा कि जिला अस्पताल में बड़ा ट्रामा सेंटर बना दिया है। इसमें नगर के साथ जिले के मरीज आते हैं। अभी अस्पताल में हाल यह हैं कि इलाज कराने मरीजों की कतार लग रही है। इससे उनको कई तरह की पीड़ा उठाना पड़ रही है। इसलिए मोहल्ला के हिसाब से स्वास्थ्य सेवा होना चाहिए।


चेंजमेकर कृष्णपाल बघेल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी चल रही है। वह उनके हिसाब से ही खुलते और बंद होते हैं। सबसे बेकार स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों मेें है। इससे छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब हो रहा है। शिक्षा व्यवस्था सुधरना चाहिए।


शिक्षा विद प्रदीप चावड़ा ने कहा कि जब सरकार आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर होती है, तब रोजगार की संभावनाएं बहुत कम होती है। चेंजमेकर हद्रेश राठौर ने कहा कि शहर में विकास की र$फ्तार बढऩा चाहिए। इसके लिए उद्योग धंधों पर अधिक फोकस होना चाहिए।

कोचिंग संचालक चरणजीत सिंह रतन ने कहा कि शहर में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्कूल, कॉलेज खुलना चाहिए। एडवोकेट प्रदीप गौतम ने कहा कि विकास का पहिया जब आगे बढ़ता है, जब आर्थिक धुरी पर भी ध्यान हो। शहर के विकास के लिए उद्योग धंधों पर विशेष ध्यान दिया जाए। इस अवसर पर राहुल सिसोदिया, रामसिंह, गोपाल विसोरिया, वीरेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे। जिन्होंने भी अपनी बात रखी।


पत्रिका जन एजेंडा की बैठक में यह उठे मुद्दे-
-आर्थिक व्यवस्था सुधारने उद्योगों पर विशेष ध्यान दें।
– पर्याप्त व्यवस्था कर पानी के संकट को किया जाए।
– इंस्डस्ट्री खोल बेरोजगारी की समस्या को दूर कर रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
– स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल हैं, उसे जल्द ही ठीक किया जाएं।
– नगर में मोहल्ले के हिसाब से स्वास्थ्य सुविधा मिले।
– रोजगार स्थापित करने बिना परेशानी के बेरोजगारों को ऋण उपलब्ध कराया जाए।
– जितनी खराब सड़क हैं, उनको ठीक किया जाए।
– सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारा जाए।
– बढ़ते अपराधों को रोकने कानून व्यवस्था को बेहतर किया जाए।
– समाज सुधार की दिशा में कदम उठाया जाए।
– नाली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधा प्राथमिकता के साथ प्रदान की जाए।
– शिक्षा व्यवस्था पर प्राथमिकता के साथ फोकस कर सुधारा जाए।
-रेलवे स्टेशन का विकास हो, सभी ट्रेनों का स्टापेज हो
– बस स्टैंड की दुर्दशा सुधरे, लंबी दूरी की बसों का भी स्टापेज हो।

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