मेले में झूले के साथ ही अनेक दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ ही मिष्ठान, बर्तन, मटके, खेल-खिलौने, वस्तु आभूषण की दुकानें भी खूब सजीं, दूर-दूर से व्यापारी यहां अपनी दुकानें लेकर आए। जिस पर रविवार के दिन खूब क्रय-विक्रय हुआ। अनुमानत: लाखों रुपए का व्यवसाय मेले में हुआ। बिलकिसगंज क्षेत्र के लगभग 60-65 गांव से लोग इस मेले में शामिल हुए। वहीं भोपाल और सीहोर से भी दिनभर मेले में लोगों की आवाजाही लगी रही। वहीं बच्चों का मेले के प्रति आकर्षण खेलकूद व खिलौने की सामग्री खरीदना व झूले व आइसक्रीम का आनंद लेना मेले में देखने को मिला। मेले में ग्रामीणों द्वारा जमकर खरीदारी भी की। ग्रामीण परिवेश के मेले में बेड़नियों का चलन खूब है। प्रतिस्पर्धा के चलते यहां भी बेड़नियों का नृत्य रातभर चला।
नवयुवकों ने की खूब जोर अजमाइश
ग्रामीण परिवेश में लगने वाले मेले का मुख्य आकर्षण झंडा तोड़ा प्रतियोगिता रही। जिसमें एक लकड़ी के लंबे स्तंभ पर हिरमची व तेल युक्त करके उसके ऊपर पुरस्कार की राशि बांधी जाती है। जिसे प्राप्त करने के लिए नवयुवकों ने खूब जोर अजमाइश की। नवयुवकों का खंबे पर चढऩा व नृत्यकियों द्वारा खजूर की छड़ी से मारना, इसका लोगों ने खूब आनंद उठाया। सुबह हुई इस प्रतियोगिता में अनेक युवकों ने भाग लिया। इससे पूर्व रात्रि में ग्राम पटेल के घर से निशान माता मंदिर गाजे-बाजे व बेड़नियों के नाच के साथ ले जाया गया, मध्यरात्रि में माता जी की भव्य आरती के साथ मेले का शुभारम्भ हुआ।
मेले में बड़े-बड़े झूले रहे आकर्षण
मेले में लगे बड़े झूले ग्रामीणों के लिए खासे आकर्षण का केन्द्र रहे। युवक-युवतियां और बच्चों ने झूलों का जमकर लुत्फ उठाया। हाथों पर नाम गुदवाने से लेकर खान-पान की दुकानों पर लोगों की भीड़ मेले में लगी रही। अपनी मनपसंद चीज के लिए माता-पिता को अपनी ओर खींचकर ले जाते बच्चे, कहीं झूले में किलकारी भरते नवयुवक नजर आए।