मनुस्मृति के अनुसार यज्ञ की महिमा को भी बताया गया है। भगवान यज्ञ नारायण की महिमा के विषय में मनुस्मृति में बताया गया है कि ठीक प्रकार से अग्नि में आहुति प्रदान करने से वह भगवान सूर्य तक पहुंचती है और भगवान सूर्यनारायण उससे वृष्टि करते हैं उच्च दृष्टि से अन्न उत्पन्न होता है तथा अन्न से समस्त प्रजा का पालन होता है।
उक्त बात जनमानस के लिए कस्बे में इमली खेड़ा स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर परिसर में कैलाश पाटीदार कछार वालों के द्वारा नवनिर्मित दुर्गा मंदिर पर प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन नवचंडी एक कुंडीय यज्ञ एवं प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ में डॉ अशोक शास्त्री ने कही। वहीं डॉक्टर अतुल शर्मा ने कहा कि ऋषियों ने यज्ञ को संसार की सृष्टि का आधार बिंदु कहा।
उन्होंने बताया कि संस्कृत के यज धातु से बना यज्ञ शब्द देव पूजन, दान एवं दुनिया को समर्थ-सशक्त बनाने वाली सत्ताओं के संगतिकरण के अर्थ में परिभाषित होता है। इस प्रकार यज्ञ दिव्य प्रयोजनों के लिए संगठित रूप से अनुदान प्रस्तुत करता है। यही वह पुण्य प्रवृत्ति, जिसके कारण नर पशु को नर-नारायण बनने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि अग्नि में पकाए जाने पर जिस तरह सोने की कलुशता मिटती और आभा निखरती है। उसी प्रकार यज्ञ दर्शन को अपना कर मनुष्य उत्कृष्टता के शिखर पर चढ़ता और देवत्व की ओर अग्रसर होता है।
श्री बंजारी बालाजी मंदिर गोपालपुर में रूद्रमहा यज्ञ का समापन महाआरती और भंडारे के साथ हुआ। समापन पर हुए भंडारे में हजारों लोगों ने शामिल होकर जगत नारायण भगवान का प्रसाद ग्रहण किया। यहा बंजारी बालाजी महाराज की प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। प्रतिवर्ष इस मंदिर पर सात दिवसीय रामसत्ता का आयोजन रखा जाता है। यहां इंदौर, भोपाल, महाराष्ट्र से श्रद्धालु बंजारी बालाजी मंदिर के दर्शन करने आते हैं।