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सीप नदी के पुल में पड़ी दरार, भारी वाहनों के प्रवेश पर लगाई रोक

locationसीहोरPublished: Apr 18, 2019 01:24:20 pm

Submitted by:

Radheshyam Rai

1985 में बनकर तैयार हुआ था पुल, सेमल पानी वासुदेव रोड से निकाले जा रहे वाहन

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सीप नदी के पुल में पड़ी दरार, भारी वाहनों के प्रवेश पर लगाई रोक

सीहोर. नसरुल्लागंज तहसील के पांडा गांव सीप नदी पर बने पुल पर निचले हिस्से में दरार पड़ गई। जिससे पुल के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बन रही थी। सूचना पर अधिकारियों के दल ने पहुंचकर पुल का निरीक्षण किया। जिसमें पाया कि पुल के निचले हिस्से में बड़ी दरार पड़ गई है। इसको देखते हुए अधिकारियों ने पुल पर से भारी वाहनों के निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया। अगर समय रहते इसकी जानकारी नहीं लगती तो शायद बहुत बड़ा हादसा हो सकता था।

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सीप नदी पर 1985 में पुल का निर्माण किया गया था। निर्माण पूर्ण होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। 34 वर्ष पुराने इस पुल पर क्षमता से अधिक लोड लिए वाहन निकलते रहे, लेकिन इस ओर अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस पुल से इंदौर, खातेगांव, हरदा, नेमावर, उज्जैन, देवास, खंडवा, ओमकारेश्वर, धार, मनावर, महू की ओर जाने वाली बसें इस पुल से निकलती है।

 

इंदौर, धार, देवास, उज्जैन की ओर जाने वाले रेत के वाहन भी इस पुल से निकलते हैं एवं इंदौर उज्जैन नीमच मंदसौर देवास खंडवा की ओर जाने वाले अनाज व्यापारियों के अनाज से भरे वाहन एवं परचून का सामान लेकर आने जाने वाले वाहन भी इस मार्ग से निकलते हैं। नागपुर, जबलपुर की ओर से इंदौर जाने वाले वाहन भी इसी मार्ग से निकलते हैं जो प्रभावित होंगे। अधिकारियों की माने तो पुल की मरम्मत में एक महीने का समय लग सकता है।

इस संबंध में तहसीलदार पीसी पांडे ने बताया कि ग्राम पांडा गांव में सीप नदी पर बने पुल में दरार की जानकारी मिली थी तुरंत ही अधिकारियों के एक दल जिसमें एसडीएम एसडीओपी मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन लोक निर्माण विभाग पुलिस विभाग के अधिकारि शामिल थे ने पहुंचकर पुल का निरीक्षण किया एवं तुरंत ही पुल से भारी वाहनों के निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। फिलहाल यह वाहन सेमल पानी रोड से निकाले जा रहे हैं। साथ ही नदी में अस्थाई सड़क बनाई जा रही है जिसका काम भी प्रारंभ कर दिया गया है। जब तक पुल की मरम्मत नहीं होगी भारी वाहन इसी मार्ग से निकाले जाएंगे।

ज्ञातव्य है कि पूर्व में भी पुल के ऊपरी हिस्से में दरार पड़ गई थी एवं पुल के ऊपर सड़क में लगा सरिया बाहर दिखाई देने लगा था इसके कारण कई वाहन चालकों को वाहन चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उस दौरान हरदा से सलकनपुर जा रहे एक स्कूटी सवार की स्कूटी का पहिया पुल के ऊपरी हिस्से में पड़ी दरार में फंस गया था जिसके कारण पहिया वहीं टूट कर निकल गया। स्कूटी सवार घायल हो गए थे उस दौरान विभाग ने सड़क के ऊपरी हिस्से में लीपापोती कर के उस दरार को दबा दिया था।

बारिश के दिनों में हो सकती है परेशानी
अफसरों का कहना है कि इंजीनियरों की जांच के बाद पता चलेगा कि पुल कितना क्षतिग्रस्त है अगर पुल अधिक मात्रा में क्षतिग्रस्त पाया गया तो उसकी मरम्मत में एक महीने से भी अधिक का समय लग जाएगा। ऐसे में बारिश भी प्रारंभ हो सकती है अगर बारिश प्रारंभ हो गई तो नदी में बनाई जा रही अस्थाई सड़क भी बंद हो जाएगी तब इस मार्ग से भी वाहन निकलना बंद हो जाएंगे।

ऐसे में बारिश के समय में इस मार्ग से निकलने वाले वाहनों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और उन्हें सेमल पानी वासुदेव मार्ग से होकर निकलना पड़ेगा। यह सड़क सकड़ी होने के कारण एवं सड़क में मोड़ होने के कारण वाहनों को निकलने में समय भी अधिक लगेगा एवं वाहन को 6 किलोमीटर की अधिक दूरी भी तय करना पड़ेगी

अधिकारियों ने लिया पुल का जायजा
पुल के निचले हिस्से में एक बहुत बड़ी दरार पड़ गई है जो बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण हो सकती थी। समय रहते ग्रामीणों की मदद से प्रशासन को इसकी सूचना मिली। सूचना मिलते ही एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एसडीओपी, एमपीआरडीसी पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने बुधवार को पुल का निरीक्षण किया।

 

निरीक्षण के दौरान पाया कि पुल में पड़ी दरार दुर्घटना का कारण बन सकती है, तुरंत ही भारी वाहनों के निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। फिलहाल भारी वाहन सेमलपानी वासुदेव होकर निकाले जा रहे हैं एवं नदी में अस्थाई सड़क बनाई जा रही है जहां से भारी वाहन निकाले जाएंगे।

पुल की मरम्मत कितना समय लगेगा यह तो पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल यह कहा जा सकता है कि कम से कम एक महीना इसकी मरम्मत में लगेगा। इंजीनियरों द्वारा इसकी जांच की जाएगी। पुल के अंदर एक बॉक्स होता है उसे देखा जाएगा। अगर उसके अंदर भी डेमेज की स्थिति दिखाई दी तो एक महीने से अधिक का समय भी पुल की मरम्मत में लग सकता है।
डीके स्वर्णकार, एमपीआरडीसी

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