उन्होंने आगे कहा कि सभी धर्मों में अच्छी बातें कही गई हैं लोग किसी व्यक्ति की बात सुने या न सुने, लेकिन सभी धर्म के संदेशों को जीवन में अवश्य अपनाना चाहिए।
समाज में सुधार के लिए बच्चों एवं बुजुर्गों को कथा का श्रवण करना चाहिए, क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले भक्तों को भगवान के प्रति भावना और ज्यादा बढ़ जाती है और उसकी भगवान जरूर सुनता है। जिससे उसके सारे काम बनते चले जाते हैं। मानव जैसा काम करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक चल रही है।
कथा के तीसरे दिन संगीतमय भजनों पर श्रद्धालु अपने आपको झूमने से रोक नहीं पाए और प्रभु की भक्ति में मग्न हो झूमने लगे। जैसे-जैसे भागवत कथा का सिलसिला आगे बढ़ता गया वहां भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही थी और पांडाल भी छोटा पडऩे लगा। आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं को गर्मी से बचाने के लिए पानी के बौछारों वाला टेंट लगाया गया है।