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सीहोर में किया जा रहा प्रदेश का पहला हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क बनाने का पहला प्रयोग

locationसीहोरPublished: Mar 18, 2019 12:02:41 pm

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

सड़क को बार-बार टूटने से बचाने के लिए किया जाता है इस प्रक्रिया का उपयोग

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सीहोर में किया जा रहा प्रदेश का पहला हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क बनाने का पहला प्रयोग

सीहोर. प्रदेश में मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण (एमपीआरडीसी) द्वारा हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क बनाने का पहला प्रयोग सीहोर में किया जा रहा है। हायडोलिक सिस्टम से सड़क को बार-बार टूटने से बचाया जाता है। सड़क का काम इंदौर-भोपाल स्टेट हाइवे पर पांच किलो मीटर क्षेत्र में किया जा रहा है। इस निर्माण कार्य पर पहले चरण में देवास-भोपाल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड को करीब सवा करोड़ रुपए का खर्चा आ रहा है।

हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। सड़क का निर्माण फंदा टोल नाके से पहले लसूडिय़ा से लेकर पेट्रोल पंप तक किया जाना है। सड़क निर्माण कार्य करीब तीन महीने तक चलेगा। हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क निर्माण होने के बाद इस क्षेत्र से आवाजाही करने वाले वाहनों को दिक्कत नहीं होगी। यहां पर बार-बार सड़क के टूटने के कारण आवाजाही में वाहनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। सड़क खराब होने के कारण इस क्षेत्र में हादसे भी बहुत होते हैं।

हाइड्रोलिक सिस्टम की क्यों पड़ी जरूरत
इंदौर-भोपाल स्टेट हाइवे पर यह पांच किलो मीटर का हिस्सा ऐसा है, जो मेंटेनेंस के कुछ दिन बाद ही फिर से खराब हो जाता है। मेंटेनेंस करने के बाद भी सड़क के बार-बार खराब होने का कारण खोजने के लिए एमपीआरडीसी ने देवास-भोपाल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड को यहां की मिट्टी की जांच कराने के आदेश दिए गए। कॉरिडोर कंपनी ने जब यहां की मिट्टी की भोपाल लैब में जांच कराई तो सामने आया कि रोड के नीचे 10 फीट की गहराई पर काली मिट्टी है, जिसमें नमी अधिक है। नमी के कारण लोडिंग वाहन निकलने पर मिट्टी धसक जाती है और सड़क टूट बार-बार टूट जाती है। मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सड़क हादसे रोकने और वाहनों को आवाजाही में होने वाली दिक्कत को कम करने के लिए एमपीआरडीसी के निर्देश पर कॉरिडोर कंपनी ने इस पांच किलो मीटर सड़क को हाइड्रोलिक सिस्टम से बनाने का निर्णय लिया है।


कैसे बनाई जा रही है सड़क
हाइड्रोलिक सिस्टम के तहत सड़क को बनाने के लिए सबसे पहले दोनों साइड करीब पांच से छह फीट चौड़ी नाली बनाई जाती है। इस नाली से होकर सड़क के अंदर की मिट्टी से नमी खत्म करने के लिए हाइड्रोलिक मशीन के माध्यम से चूने की फायरिंग की जाती है। चूना मिट्टी की नमी को खत्म कर देता है। मिट्टी की नमी खत्म होने के बाद पुराने डामर को हटाकर नए डामर की लेयर ट्रैफिक दबाव के हिसाब से बना दी जाती है। कॉरिडोर कंपनी के अफसरों की माने तो हाइड्रोलिक सिस्टम से बनी सड़क लंबे समय तक चलती है। इस सड़क के बार-बार धसकने की समस्या खत्म हो जाती है।

– प्रदेश में पहली बार एमपीआरडीसी के निर्देश पर हाइड्रोलिक सिस्टम से सड़क निर्माण किया जा रहा है। इससे हाईवे से निकलने वाले वाहनों की परेशानी कम होगी। अभी मेंटेनेंस के बाद भी बार-बार सड़क खराब हो जाती है, जिससे वाहन चालक परेशान होते हैं।
फिरोज खान, प्रबंधक देवास-भोपाल कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड

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