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तीन लाख 68 हजार हेक्टेयर में होगी खरीफ की बोवनी

locationसीहोरPublished: Jun 14, 2019 11:17:12 am

Submitted by:

Kuldeep Saraswat

कृषि विभाग बोला किसान बीज उपचार कर बोएं, सबसे ज्यादा पौने तीन लाख हेक्टेयर में होगी सोयाबीन की बोवनी

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तीन लाख 68 हजार हेक्टेयर में होगी खरीफ की बोवनी

सीहोर. जिले में इस बार तीन लाख 68 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी होगी। जिसकी किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है। किसान खेतों में खाद डाल और उनको बखरने में जुटे हैं। जिससे कि तेज बारिश होने के बाद आसानी से बोवनी कार्य शुरू कर सकेंं। इधर जिन किसानों के पास बीज की व्यवस्था नहीं है, उनको कृषि उपज मंडियों से महंगा बीज खरीदना पड़ रहा है। जिससे उनको नुकसान उठाने के साथ ही परेशानी भी हो रही है।

मौसम विभाग ने प्रदेश में जून महीने के तीसरे सप्ताह में मानसून दस्तक देने की बात कहीं है। इसकी आहट आसमान में बनती धूप-छांव की स्थिति बताने लगी है। जिसे देख किसान तेजी से खेत को ठीक करने लगे हैं। इधर कृषि विभाग ने किसानों के लिए बोवनी करने सलाह जारी की है। इसमें बताया है कि इस कार्य को करने में जल्दी नहीं करें। जिससे कि बोवनी बिगडऩे जैसी स्थिति नहीं बने। उल्लेखनीय है कि पिछले साल बोवनी बिगडऩे से किसानों को दूसरी-तीसरी बार करना पड़ी थी।

ऐसे करें बीज उपचार
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किसानों के पास घर का बीज है तो उसको छानकर साफ सुथरा कर ले। इसमें 100 दाने को कहीं पर भी बो सकते हैं, उनमें से 70 दानों का अंकुरण होता है तो बोवनी में ले सकते हैं। 70 दाने से कम का अंकुरण हुआ तो उस स्थिति में बोवनी के समय बीज को बढ़ाकर बोएं। जिनके पास तीन साल या फिर उससे भी अधिक पुराना बीज है तो किसान उसको बदले।

25 जून के बाद करें किसान बोवनी
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि 21 से 25 जून के बीच प्रदेश में मानसून दस्तक देगा। अच्छी बारिश होने पर 25 जून के बाद ही बोवनी कार्य शुरू करें। जिससे कि उसमें किसी तरह की बाधा नहीं आएं और बीज का ठीक तरह से अंकुरण हो सकें।
यह है खरीफ फसल का रकबा
सोयाबीन : 2,70000
धान : 35000
मक्का : 15000
अरहर : 8000
उड़द : 8000
मूंग : 3000
अन्य : 19000 (रकबा हेक्टेयर में)
वर्जन…
– हमारी तरफ से इस बार खरीफ सीजन में तीन लाख 68 हजार हेक्टेयर लक्ष्य रखा है। किसान बोवनी से पूर्व बीज के कुछ दाने को बोकर देख ले, जिससे कि पता चल सकें कि वह उपयोगी है या नहीं।
अवनीश चर्तुवेदी, डीडीए कृषि विभाग सीहोर

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