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प्रदेश में दिन के साथ रात में भी बिजली कटौती, आंदोलन की तैयारी में लोग

locationसीहोरPublished: May 17, 2022 04:19:14 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

लो वोल्टेज और बिजली कटौती ने जीना किया मुश्किल, फॉल्ट सुधारने कुछ देर बंद की जाती है बिजली

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सीहोर. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अघोषित बिजली कटौती से लोग परेशान हैं। वहीं गर्मी के चलते लोग घरों में कैद रहने को मजबूर है। जिले के नसरुल्लागंज में हर कभी हो रही बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या से लोग परेशान हैं। कटौती से कूलर, पंखे बंद होने से घरों में बैठना मुश्किल हो रहा है तो वहीं नियमित मूंग फसल में सिंचाई नहीं होने से वह अलग सूखने की स्थिति में पहुंचने लगी है।

इस समस्या को दूर करने लोग लंबे समय से बिजली कंपनी को अवगत करा रहे हैं, लेकिन लापरवाही का आलम यह है कि कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं है। बिजली कंपनी बिजली संबंधी समस्या दूर करने में अनदेखी करती है, लेकिन बिल वसूली पर सबसे अधिक फोकस रहता है। इसके लिए कनेक्शन काटने तो कुर्की तक की कार्रवाई की जाती है। लोगों का कहना है कि कंपनी को उपभोक्ताओं की जो समस्या है उसका समय पर निराकरण करना चाहिए, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है।

इसलिए जल्द ही धरना, प्रदर्शन या फिर आंदोलन करने जैसा कदम उठाना पड़ेगा।बता दे कि इस समस्या से पूरा जिला भुगत रहा है।कंपनी लोड शेडिंग तो कभी अन्य बात कहकर कटौती कर रही है। गर्मी के मौसम में बिजली की खपत बड़ी है। लोड शेडिंग या फिर कभी कभार लाइन में आए फॉल्ट को सुधारने के लिए ही कुछ देर बिजली सप्लाई बंद की जाती है। इसके अलावा नियमित बिजली सप्लाई की जा रही है।

वहीं बिजली के लो वोल्टेज के कारण नलों में पानी ठीक से नहीं आ रहा है। बिजली रहने पर भी वोल्टेज इतना कम रहता है कि घरों के कूलर, पंखे तक नहीं चल पाते हैं। लोगों ने बताया कि कटौती से कूलर, पंखे शोपीस बन जाते हैं, वहीं बिजली रहने पर लो वोल्टेज पर उनको चलाया तो खराब होने की सब से अधिक आशंका रहती है। सुदामापुरी निवासी अंकुश खंडेलवाल ने बताया कि आठ दिन से सुदामापुरी में कम वोल्टेज आ रहा है। बिजली कंपनी अधिकारी, कर्मचारियों को इससे अवगत कराया, लेकिन समस्या जस की तस है।

क्षेत्र में अधिकांश किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग फसल को खेतों में बोया है। इस फसल में गर्मी में समय पर सिंचाई करना जरूरी रहती है, लेकिन कटौती से यह काम नहीं हो रहा है। ट्यूबेल थोड़ी बहुत चलती है और बिजली जाने के बाद फिर बंद हो जाती है। इससे मूंग फसल सूखने की स्थिति में पहुंचने लगी है। किसानों का कहना है कि बिजली कटौती बंद नहीं हुई तो मूंग की पैदावार होना मुश्किल है।

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