script

2 किमी पैदल चली प्रसूता, फिर खटिया पर ले गए अस्पताल, गांव तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

locationसीहोरPublished: Sep 23, 2018 07:40:53 pm

दर्द से तड़पती रही प्रसूता, सड़क नहीं होने से नहीं पहुंच सकी एबुलेंस

news

दो किमी पैदल चली प्रसूता, बाद खटिया पर ले गए अस्पताल, गांव तक नहीं पहुंची एंबुलेंस

सीहोर/सिद्दीकगंज। वो दर्द से तड़प रही थी और एक एक पल काटना उसके लिए भारी हो रहा था। फिर भी हिम्मत जुटाते हुए दो किमी तक पैदल चली, लेकिन आगे जाकर पूरी तरह से थक गई। परिजन ने पीड़ा को देखते हुए खटिया की व्यवस्था की और उसे दो किमी दूर मुख्य सड़क तक लेकर आएं। तब कहीं जाकर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंची और डिलेवरी हो सकी। यह नजारा जिले के सिद्दीकगंज क्षेत्र में बीती रात देखने को मिला। यहां विकास के दावे तो कई किए, लेकिन जमीन पर मूर्त रूप लेने की बजाएं हवा हवाई होकर रह गए। इसकी पोल फिर खुल गई।

गांव तक नहीं पहुंची एंबुलेंस
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के गांव रूपकुंड निवासी तुकानी बाई (23) पति प्रकाश बारेला को प्रसव पीड़ा हुई तो अस्पताल लाने परिजन ने एंबुलेंस को फोन लगाया। कच्चा और उबड़ खाबड़ रास्ता होने से यह एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंची और श्यामपुरा में आकर खड़ी हो गई। जबकि गांव से मुख्य सड़क की दूरी चार किमी थी। प्रसूता पीड़ा होने के बाद भी दो किमी पैदल चलकर आई, लेकिन आगे नहीं चल पाई।

इस दौरान उसकी प्रसव पीड़ा लगातार बड़ती गई। परिजन खटिया पर लेटाकर मुख्य सड़क तक लेकर आए। एंबुलेंस में बैैठकर सिद्दीकगंज स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां उसकी डिलेवरी हो सकी। हालांकि डिलेवरी होने के बाद खून की कमी के चलते जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

16 दिन में दूसरा मामला
पिछले 16 दिन के अंदर दूसरा मामला सामने आया है। 6 सितंबर को बर्रूखाल रूपकुंड निवासी सुनीता पति प्रताप सिंह बारेला को डिलेवरी के चलते पीड़ा ज्यादा होने लगी तो इसी तरह से 108 एंबुलेंस को फोन लगाया था। उस दौरान भी गांव तक वाहन नहीं पहुंच पाया था। मजबूरन परिजन को लकड़ी में कपड़े की झोली बनाकर उसमें बैठाकर महिला को श्यामपुरा तक लाना पड़ा था। यहां से वाहन में बैठाकर स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे, जहां महिला ने बालिका को जन्म दिया था।

ग्रामीणों में बढ़ रहा आक्रोश
इस गांव में गरीब लोग निवास करते हैं। मेहनत मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। मूलभूत सुविधा नहीं मिलने से उनको कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत सड़क के अभाव में उठाना पड़ रही है। लोगों ने बताया कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आए और बड़े वादे कर चले गए। यह वादे आज तक पूरे नहीं हो सकें हैं। इससे लोगों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है। इस बार ग्रामीण यह भी कहते हुए नजर आ रहे हैं कि सड़क नहीं बनी तो वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

मरम्मत की बात कहीं है
वन विभाग के तहत गांव आने से पिछले दिनों इस विभाग के अधिकारियों से बात की थी। यहां सड़क बनाना संभव नहीं होने से रास्ते की मरम्मत करने की बात कहीं थी। विभाग ने पंचायत को राशि मुहैया कराने की बात कहीं थी।
आरआर पांडे, एसडीएम आष्टा

ट्रेंडिंग वीडियो