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“निर्मल” नहीं रहे निर्मल ग्राम

locationसीहोरPublished: Sep 27, 2015 11:09:00 pm

निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना का
शुभारंभ केन्द्र सरकार ने गांवों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए किया था।

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सीहोर।निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना का शुभारंभ केन्द्र सरकार ने गांवों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए किया था। इस योजना के तहत हर साल प्रदेश के प्रत्येक जिले से पांच से दस पंचायतों को स्वच्छता के लिए किए गए प्रयासों के आधार पर पुरस्कृत किया जाता है।

निर्मल ग्राम पंचायत के पुरस्कार को पाने के लिए ग्राम पंचायतें पुरस्कार मिलने तक तो गांवों में स्वच्छता की ओर गंभीरता से प्रयास करती दिखाई देती है, लेकिन एक बार पुरस्कार मिल जाने के बाद न तो वह गंभीरता दिखाई देती है न ही स्वच्छता।


शहर के आसपास स्थित निर्मल ग्राम पंचायतों के औचक निरीक्षण में भी यह बात सच साबित होती दिखाई दी। पिछले कुछ सालों में निर्मल घोषित ग्राम पंचायतों में अब स्वच्छता को लेकर हालत खराब है।

निर्मल ग्राम पंचायतों के हाल

ग्राम पंचायत हीरापुर


इस पंचायत को दो वर्ष पूर्व निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया था। गांव के लोगों की मानें तो जब तक पुरस्कार नहीं मिला था, गांव में अक्सर साफ-सफाई की जाती थी, नालियों की साफ-सफाई भी होती थी, लेकिन जब से पुरस्कार मिला है सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गांव के हैंडपंपों के आसपास गंदगी, जगह-जगह गोबर के ढेर, आसानी से देखे जा सकते हैं।

ग्राम पंचायत टिटौरा

इस ग्राम पंचायत में दो बड़े गांव ग्राम टिटौरा और मानपुरा शामिल हैं। दोनों की साफ-सफाई को देखकर पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया था।


आज मानपुरा की सड़कों पर जगह-जगह गंदगी पसरी पड़ी है। टिटौरा की हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती। मानपुरा गांव के आधे घरों में अभी भी पक्के शौचालय नहीं हैं, खुले में शौच आज भी यहां के बासिंदों की मजबूरी है।

ग्राम पंचायत जमोनिया टैंक


इस ग्राम पंचायत को पांच साल पहले निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया गया था। पुरस्कार मिलने के कुछ समय तक तो साफ-सफाई की ओर ध्यान दिया गया लेकिन, अब गांव की अधिकांश गलियों में सीवेज का पानी सड़कों पर बह रहा है। हैंडपंप और कुओं के पास गंदगी पसरी है। गांव में सौ फीसदी शौचालय नहीं होने से ग्रामीण खुले में शौच करते हैं।

कहीं गोबर गैस का मलबा तो कही घूड़ा लगा दिखाई देता है।

पंचायतों की मानिटरिंग के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है
यह सही है कि पुरस्कार प्राप्त करने के बाद पंचायतें स्वच्छता को लेकर उतनी गंभीर नहीं रहती हैं। जल्द ही ऎसी सभी पंचायतों की मानिटरिंग के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है। इस योजना के बाद इन सभी पंचायतों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। डॉ. आरआर भोंसले, सीईओ जिला पंचायत सीहोर

जब तक पुरस्कार नहीं मिला था तब तक तो काफी साफ-सफाई करवाई जाती थी, लेकिन अब हफ्तों सफाई का पता नहीं रहता। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। पुरस्कार के बाद भी साफ-सफाई नियमित होनी चाहिए। रूप सिंह परमार, ग्राम हीरापुर

स्वच्छता को लेकर बातें तो बड़ी-बड़ी होती है, लेकिन यह सब कुछ दिनों के लिए ही दिखाई देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बड़ी संख्या में लोग शौच के लिए खुले में जाते हैं। कई ग्रामीणों के घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है।रामचरण परमार, ग्रामीण
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