काम शुरू नहीं किया गया…
जानकारी के अनुसार सीवन नदी के कायाकल्प और जीर्णोद्धार की योजना करीब दो साल पहले योजना बनाई गई थी, लेकिन आभी तक इस पर कोई काम नहीं हो सका है। योजना के तहत सीवन और बांस बाड़े को व्यवस्थित कर प्राचीन धरोहरों को सहेजना था, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं किया गया है। मालूम हो, पूरे प्रदेश में कटंग बांस के लिए प्रख्यात बैंबू मिशन के तहत इसी शहर में काम करना थे, लेकिन इस प्लान पर अभी तक काम शुरू नहीं हो सका।
कैसे बनी थी योजना…
शहर की एतिहासिक धरोहर और सीवन नदी के विकास की योजना जिला प्रशासन के मार्ग दर्शन में तैयार की गई थी। सीवन नदी के महिला घाट से लेकर हनुमान फाटक तक नदी के दोनों तरफ निर्माण कार्य कर धार्मिक और प्राचीन स्थल को विकसित किया जाना था।
इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए जिला प्रशासन ने शहरवासियों से सुझाव भी मांगे थे, लेकिन योजना का काम पूरा नहीं हो सका। योजना के तहत करीब 26 करोड़ रुपए से सीवन और उसके आसपास के क्षेत्र का विकास किया जाना था। सीवन नदी के डेवलपमेंट की योजना में नगरीय प्रशासन विभाग के अतिरिक्त ईको पर्यटन बोर्ड, पर्यटन विभाग, राष्ट्रीय बैंबू मिशन आदि के अफसरों को काम करना था।
सीवन सूखने से बढ़ रहा जल संकट
बारिश कम होने के कारण जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। गर्मी के सीजन में शहर के अधिकांश जल स्त्रोत दम तोड़ देते हैं। सीवन की दुर्गति होने के कारण जल स्त्रोत री-चार्ज नहीं हो पा रहे हैं। सीवन नदी धबोटी एवं बमूलिया से शुरू हुई सीहोर नगर के मध्य बहकर 19 किलोमीटर दायरे में पार्वती से जा मिलती है। इसके कारण सीहोर शहर के करीब 250 जल स्त्रोत री-चार्ज होते हैं। सीवन नदी को सूखने से बचाने के लिए कई बार नगर पालिका भगवानपुरा डैम से पानी लाकर सीवन में डालती है।
अनदेखी से दम तोड़ रही लाइफ लाइन
सीवन की स्थिति बहुत खराब है। सीवन नदी में पानी कम और जलकुंभी ज्यादा है। सीवन के महिला और पुरुष घाटों से कचरा और फूल माला भी डाली जा रही हैं। एनजीटी की रोक के बाद भी दुर्गा और गणेश महोत्सव के दौरान यहां पर मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। अफसर और शहरवासियों की अनदेखी के कारण सीहोर शहर की लाइफ लाइन दम तोड़ रही है।