कहीं शौचालय का गड्ढा गायब तो कहीं शौचालय ही गायब
जमीन हकीकत कोसों दूर, कागजों में ओडीएफ, खुले से शौच मुक्त नहीं शहर...

सीहोर. सरकारी दस्तावेज में तो पूरा शहर ओडीएफ हो गया, लेकिन असल में शहर इस उपाधि से कोसों दूर है। शहर में कई लोगों के घर शौचालय अब भी अधूरे पड़े हैं तो कई जगह शौचालय है ही नहीं। मजबूर होकर कोई पटरी किनारे तो कोई नदी नाले किनारे शौच के लिए जा रहे हैं। शहर में जो शौचालय बने हैं वह भी गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं।
स्वच्छता के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर कागजों में नगरीय क्षेत्र को ओडीएफ कर दिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी शहर पूरी तरह से ओडीएफ नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री स्वच्छता मिशन के अंतर्गत पिछले महीनों में शहर के ३५ वार्डों में १५०० शौचालय बनाए गए।
इसके बाद शहर को पूरी तरह से खुले से शौच मुक्त करते हुए ओडीएफ कर दिया गया। मगर शहर के हालात इसके विपरीत हैं। शहर के ३५ वार्डों में अब भी ५०० से अधिक घरों में शौचालय नहीं है। यह संख्या खुद ओडीएफ को प्रमाणित करने के लिए काफी है।
वही इस मामले में अब अधिकारी मान रहे है कि राशि की कमी के चलते शौचालयों का निर्माण नहीं हो सका है। शासन को राशि की कमी के लिए भी अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक राशि स्वीकृत ही नहीं हो सकी है।
नदी नाले किनारे की हालत खराब
पूरे शहर में स्वच्छता को लेकर शौचालल बनाए जाने थे, लेकिन कई जगह अब तक निर्माण तक नहीं हुआ है। सबसे ज्यादा स्थिति सीवन नदी और टाउन हाल से लेकर कस्बा क्षेत्र तक की हालत खराब है।
वार्ड पार्षद आरिफ पहलवान के क्षेत्र में अभी ७० से ज्यादा शौचालय की जरूरत है। वही बाकी के ३४ वार्डो में कही १० तो कही ३० शौचालय बनना बाकी है। वार्ड नंबर २३, २५, १४ और १२ में भी ५० से अधिक शौचालय नहीं बने है। रहवासी सुबह के समय रेलवे पटरी किनारे शौच के लिए जाते नजर आते हैंं।
नहीं हो रहा मार्निंग फालोअप
मार्निंग फालोअप भी शहर में नहीं हो रहा है। इसके कारण कई लोग सुबह से ही लौटा लेकर शौच के लिए निकल पड़ते हैं। मार्निंग फालोअप के अभाव पर स्वच्छता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।
इस का खुलासा पिछले महीने में उस समय हुआ था, जब सीवन नदी के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों ने दौरा किया था। नदी के आसपास हर तरफ गंदगी पड़ी हुई थी।
कही गड्ढे तो कहीं शौचालय की छत गायब
आकड़ों के अनुसार १५०० शौचालय के निर्माण के बाद भी क्षेत्र में ५०० शौचालयों का निर्माण किया जाना है। जो बने है, वह भी बगैर उपयोग किए ही जर्जर अवस्था में है।
शहर में कई स्थानों पर तो अधूरे निर्माण कर ही अपने काम से इति श्री कर ली। अब जिनके घरों में अधूरा निर्माण किया गया, उन के लिए यह शौचालय किसी उपयोग के नहीं रहे।
शासन को भेजी जा चुकी शौचालय की डिमांड
शहर को ओडीएफ करने पिछले महीनों में २०४ लाख रुपए की लागत से १५०० शौचालयों का निर्माण किया गया था। नपा की माने तो शहर में पांच सौ शौचालय के निर्माणों की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।
क्या कहते है हितग्राही
वर्षों से क्षेत्र में रह रहे है। मजदूरी कर घर चलाते है। शौचालय नहीं है। सुबह जल्दी पटरी किनारे शौच जाना पड़ता है।
- संजय मीणा, निवासी वार्ड 14
15 साल से रह रहेे है, शौचालय निर्माण के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने दस्तावेज नहीं होने के कारण लाभ देने से मना कर दिया।
- सरोज पाल, निवासी वार्ड 12
आवेदन दिया था। बरसात के समय ठेकेदार ने शौचालय निर्माण किया था, बिना गड्ढे के ही निर्माण कर चले गए। तब से ही अधूरा पड़ा हुआ है।
- अनीता मुकेश यादव, निवासी वार्ड 12
नवीन शौचालयों के निर्माण के लिए का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। अभी बजट प्राप्त नहीं हुआ है। बजट आते ही शीघ्र ही काम शुरू किया जाएगा।
- सुधीर कुमार सिंह, सीएमओ नपा सीहोर
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