scriptन के बराबर सोयाबीन का उत्पादन, किसान खुद लगा रहे फसल में आग | Soybean production is getting scarce farmers are putting fire in crop | Patrika News

न के बराबर सोयाबीन का उत्पादन, किसान खुद लगा रहे फसल में आग

locationसीहोरPublished: Sep 09, 2020 08:17:00 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

अधिकतम डेढ़ क्विंटल हो रहा प्रति एकड़ सोयाबीन का उत्पादन, नई बैरायटी के उत्पादन के लिए अभी 10-12 दिन का और इंतजार..

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सीहोर. सीहोर जिले के कई गांवों में सोयाबीन की फसल की कटाई शुरु हो गई है। पीला मोजक और अति बारिश के कारण इस बार सोयाबीन की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसका असर सोयाबीन की पैदावार पर भी हुआ है। कभी सात से आठ क्विंटल प्रति एकड़ तक निकलने वाला सोयाबीन इस बार अंचल में सिमटकर एक से डेढ़ क्विंटल प्रति एकड़ तक ही निकल रहा है जो सामान्य उत्पादन से काफी कम है। कई किसान तो सोयाबीन की फसल में आग लगाकर और बखर चलाकर खेत को अगली फसल के लिए तैयार करने में जुट गए हैं। कई जगहों पर तो सोयाबीन की फसल 100 फीसदी तक खराब हो गई है।

 

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कई साल बाद ऐसा नुकसान
सोयाबीन की फसल से किसानों को काफी उम्मीद होती है और किसान इस आस में रहता है कि सोयाबीन की फसल से आए पैसे से अगली फसल की तैयारी कर लेगा लेकिन इस बार प्रकृति और पीला मोजक रोग की मार सोयाबीन पर ऐसी पड़ी कि अन्नदाता की आस टूट गई है। सीहोर जिले के किसान बताते हैं कि खरीफ सीजन की फसल सोयाबीन में इस साल जैसा नुकसान हुआ है वैसा कई साल बाद देखने को मिला है। कृषि विभाग के अफसल भी खरीफ सीजन की तीन लाख 98 हजार हेक्टेयर फसल में से करीब 3 लाख 35 हजार हेक्टेयर फसल के नुकसान की बात कह रहे हैं। अफसर कह रहे हैं कि नुकसान आंकलन के लिए कृषि विभाग की टीम निरंतर दौरे कर रही हैं। एडीए रामशंकर जाट ने बताया कि मंगलवार को बोरदी क्षेत्र का दौरा किया, टोल प्लाजा के पास कई किसान सोयाबीन की खड़ी फसल में आग लगाते मिले, कुछ बखर से खेत की जुताई कर रहे थे। नई बैरायटी की कटाई 10 से 12 दिन बाद शुरू होगी, इसका उत्पादन भी काफी प्रभावित होने की उम्मीद है। सीहोर जिले के उलझावन, हीरापुर, रलावती, कुलांसकलां, आलमपुरा, सागौनी, इमलीखेड़ा, बमूलिया, बडनग़र, बरखेड़ी, टिटौरा, ढाबला, शिकारपुर, भोजनगर, बिलकिसगंज, बोरदी, इछावर क्षेत्र के किसान खेत खाली करने खड़ी सोयाबीन में आग लगा रहे हैं। कुछ बखर चलाकर खेत को अगली फसल के लिए तैयार करने में जुट गए हैं।

 

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अफलन और अतिवृष्टि की मार
खरीफ फसल पर अफलन और अतिवृष्टि की मार पड़ी है। गांव के नजदीकी रकबा तो पीला मोजेक और अफलन ने बर्बाद कर दिया, जंगल और नदी, नाले के पास के रकबे से कुछ उम्मीद थी, तो 28 और 29 अगस्त को बने बाढ़ के हालत ने बर्बाद कर दिया। बुदनी, रेहटी और शाहगंज में तो सोयाबीन के साथ धान भी बर्बाद हो गई है। सरकार धान का भी सर्वे करा रही है। कृषि विभाग के अफसरों के प्रारंभिक आंकलन में अल्पवृष्टि, अतिवृष्टि और बीमारी प्रकोप से जिले में 2 लाख 35 हजार हेक्टेयर की फसल प्रभावित हुई है, इसमें सबसे ज्यादा सोयाबीन 2 लाख 25 हजार और 10 हजार हेक्टयेर मूंग व मक्का फसल शामिल है। फसल का सर्वे हाने पर रकबा बढऩे की उम्मीद है। जिले में खरीफ की बोवनी तीन लाख 98 हजार 730 हेक्टेयर में हुई है, जिसमें सोयाबीन 3 लाख 37 हजार 800, मक्का 14 हजार 650, धान 30500 है।

 

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आठ एकड़ में निकली सिर्फ बग्दा
बोरदी के किसान दिनेश सेठ ने बताया कि उन्होंने अपने आठ एकड़ खेत में सोयाबीन की बोवनी की थी। फसल प्रारंभिक चरण में अच्छी थी, लेकिन जैसे ही फूल-फल आने का समय हुआ, पीला मोजेक रोग लग गया। पूरी फसल बर्बाद हो गई। खेत खाली करने हार्वेस्टर से कटाई कराई तो आठ एकड़ में सिर्फ बग्दा निकला है। उलझावन के किसान महेन्द्र वर्मा ने बताया उन्होंने 12 एकड़ में सोयाबीन की बोवनी की थी। अफलन और अतिवृष्टि के कारण जलभराव होने से पूरी सोयाबीन खराब हो गई। खेत को खाली करने सोयाबीन काटकर खेत में ही जलाई है। एक दाना सोयाबीन तक नहीं हुई है।

देखें वीडियो-

https://youtu.be/n1F7qadmIaY
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