ये है किसानों की पीड़ा
किसान हीरालाल ने बताया कि पहले अधिकांश किसान शरबती ही पैदा करते थे। अब दूसरी अधिक उत्पादन वाली किस्म आ गई है, लोकवन 2100-2200 और शरबती 2800 रुपए बिकता है। शरबती गेहूं अच्छा है, लेकिन लोकल में इसकी कद्र नहीं है। सरकार शरबती गेहूं का किसानों से खरीदकर खुद निर्यात कर सकती है, बहुत फायदा होगा। किसान जगदीश वर्मा ने बताया सीहोर का शरवती गेहूं विदेशों तक जाता है, लेकिन लोकल में भाव सही के साथ कृषि उपज मंडी में भी भाव नहीं मिलता है, इसलिए उत्पादन कम ऐसा भाव मिल रहा है।

रमाशंकर जाट, डीडीए सीहोर का कहना है कि शरबती गेहूं की पैदावार दूसरी किस्म की अपेक्षा कम है, इसलिए किसान इसका रकबा कम रह रहे हैं। सीहोर की पहचान शरबती के कारण पूरे देश में बनी हुई है, यहां का गेहूं कई प्रदेश और विदेश तक जाता है। इस बार भाव बीते सालों की अपेक्षा अच्छा मिल रहा है।
शरबती को लेकर किसानों की पीड़ा
साल 2018 में आष्टामंडी में शरबती गेहूं 4701 रुपए क्विंटल तक बिका था। इसके बाद साल 2020 में अधिकतम भाव 4110 रुपए प्रति क्विंटल रहा था। इस बार शरबती गेहूं ने अभी तक के पुराने रेकॉर्ड तोड़ शान कहा जाने वाला शरबती गेहूं 5612 रुपए प्रति क्विंटल बिका है।
जिले में 70 हजार किसान के स्लॉट बुक
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसानों के स्लॉट बुक किए जा रहे हैं। स्लॉट बुक करने के लिए 17 अप्रेल आखिरी तारीख थी, अब इसे बढञाकर 30 अप्रैल कर दिया गया है। जिलेभर में 94 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है, जिसमें से अभी तक करीब 70 हजार ने स्लॉट बुक कराए हैं। किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के साथ कृषि उपज मंडी में भी भाव अच्छे होने के कारण बेचने जा रहे हैं।