संस्थान के निदेशक जेजेआर नरवरे ने बताया इस ट्रैक्टर को संस्थान द्वारा देश का पहला सीएमबीआर प्रमाण पत्र दिया गया है। उन्होंने बताया कि सीमित संसाधन होते हुए भी संस्थान इसका परीक्षण कर पाया, यह बहुत बड़ी बात है। बैटरी से चलित इस ट्रैक्टर की कीमत यूरोपी देशों में भारतीय मुद्रा के हिसाब से करीब 15 लाख रुपए रखी गई है। इसका उपयोग बागवानी, अंगूर की खेती और एयरपोर्ट पर सामान को इधर से उधर पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बुदनी स्थित संस्थान के डाटा के आधार पर आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के सब वर्किंग गु्रप (एसडब्लूजी) भी इसके परीक्षण का डाटा तैयार कर रहे हैं। ओईसीडी 35 सदस्य देश का एक अंतर सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1960 में आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहन करने के लिए की गई थी। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान बुदनी के परीक्षण के बाद कंपनी ने इसे बाजार में लाने की लगभग सभी तैयारियों कर ली हैं, उम्मीद है तीन से चार महीने के अंदर यह बाजार में आ जाएगा।
एक बार में चलेगा तीन से चार घंटे
संस्थान के निदेशक जेजेआर नरवरे ने बताया कि एक बार बैटरी चार्ज करने पर यह ट्रैक्टर तीन से चार घंटे तक चलेगा। इसमें 300 एंपियर की 72 वोल्ट वाली एक बैटरी लगाई गई है। एक बार बैटरी फुल चार्ज करने पर किसान बागवानी में तीन से चार घंटे तक इसका उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया किस ट्रैक्टर को बजन सिर्फ 1150 किलो है। यह 400 किलो वजन उठा सकता है। एक टन खींचने के लिए इसका परीक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि खेती के क्षेत्र में यह एक बहुत बड़ा नवाचार है।
समय के साथ किए जाएंगे बदलाव
परीक्षणकर्ता संस्थान के निदेशक नरवरे का कहना है कि कंपनी समय के साथ इसमें बदलाव करेगी। बाजार से जैसे-जैसे किसानों की डिमांग सामने आती जाएगी, कंपनी मशीनरी में उस हिसाब से बदलाव करती है। उन्होंने बताया इसके उपयोग द्वारा करीब 73 से 77 प्रतिशत तक डीजल ट्रैक्टर की तुलना में लागत कम हो जाएगी। यह ट्रैक्टर प्रदूषण रहित मशीन होने के कारण इसका उपयोग विशेष रूप से बागवानी, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, खड़ी फसलों में जुताई करने, कीटनाशक का छिड़काव एवं परिवहन कार्य में किया जा सकता है।