scriptसिस्टम की खामी: सरकारी स्कूलों से स्टूडेंट्स और पालकों का मोहभंग | System defect: Disenchanted students and parents from government schoo | Patrika News

सिस्टम की खामी: सरकारी स्कूलों से स्टूडेंट्स और पालकों का मोहभंग

locationसीहोरPublished: Apr 28, 2019 11:57:59 am

दो-दो, तीन-तीन स्टूडेंट्स वाले स्कूल में दो-दो शिक्षक, 62 स्कूल ऐसे जहां स्टूडेंट्स पर्याप्त पर शिक्षक नहीं

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Sehore. Students studying at Sarakri School

सीहोर. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा है। सिस्टम की खामी कहें या फिर प्रभावशालियों को प्रभाव, जिसकी जो मर्जी में आ रहा है, वह वहीं कर रहा है। सरकारी सिस्टम से स्टूडेंट्स और पालकों का भरोसा उठने का एक यह भी कारण है कि जहां शिक्षकों की जरूरत है, वहां शिक्षक नहीं हैं और जहां जरूरत कम है, वहां दो-दो, तीन-तीन शिक्षक पदस्थ कर रखे हैं। सिस्टम की इन खामियों के कारण सरकारी स्कूलों से पालकों का भरोसा उठता जा रहा है। हर साल 10 से 15 फीसदी स्टूडेंट्स की संख्या कम हो रही है। सरकारी स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या कम हो रही है और निजी स्कूल में एडमिशन के डोनेशन तक दे रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सीहोर जिले में करीब 10 से 15 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें स्टूडेंट्स की संख्या 10 से कम है। दो-दो, तीन-तीन स्टूडेंट्स हैं और टीचर भी दो-दो पदस्थ हैं। दो-दो, तीन-तीन स्टूडेंट्स वाले स्कूल में शिक्षा विभाग ने दो-दो, तीन-तीन शिक्षक पदस्थ कर रखे हैं और इसके विपरीत जिले में करीब 62 मिडिल और प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां पर छात्रों की संख्या तो अच्छी खासी है, लेकिन शिक्षक एक भी नहीं हैं। 350 स्कूल ऐसे भी हैं, जहां पर एक शिक्षक है और स्टूडेंट्स 50 से ज्यादा हैं। शिक्षा विभाग के इस रवैए के कारण सरकारी स्कूलों से स्टूडेंट्स और पालकों का मोहभंग हो रहा है।

सिस्टम को दुरुस्त कर शिक्षकों की कमी करें दूर
जिले में करीब दो हजार 25 सरकारी मिडिल और प्राइमरी स्कूल हैं। एक हजार 350 प्राइमरी और 675 मिडिल स्कूल हैं। इन स्कूल में करीब एक लाख 10 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। शिक्षा विभाग के रेकॉर्ड के मुताबिक सीहोर में करीब 62 मिडिल और प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां पर शिक्षक नहीं हैं। 350 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर एक शिक्षक है।

 

सीहोर में मिडिल और प्राइमरी स्कूल के संचालन को करीब आठ हजार शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन यहां पर महज 5 हजार 800 से काम चलाया जा रहा है। 600 शिक्षकों की कमी तो अतिथि विद्वानों से पूरी की जा रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग को उन स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की संख्या में कमी करनी चाहिए, जहां पर पद कम हैं और शिक्षक ज्यादा हैं। सीहोर शहर में भी एक दर्जन से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां पदों से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं। यह सभी शिक्षक राजनीतिक पकड़ वाले हैं।

45 हायर सेकंडरी स्कूल के पास नहीं बिल्डिंग
सीहोर जिले में करीब 108 हायर सेकंडरी और 224 हाई स्कूल हैं। जिले में केवल मिडिल और प्राइमरी की नहीं, हाई स्कूल और हायर सेकंडरी की भी हालत खराब है। जिले में करीब 45 हायर सेकंडरी और हाई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास स्वयं की बिल्डिंग नहीं है। साल 2018-19 में अपग्रेड होने वाले करीब 20 स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं हुई है। यहां मिडिल स्कूल के टीचर औरा अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है।

 

जिले में प्राइमरी और मिडिल के करीब 39 स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास स्वयं की बिल्डिंग नहीं हैं। जिला मुख्यालय पर दो सरकारी स्कूल किराए की जर्जर बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं। एक भवन तो शुगर फैक्ट्री के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है, जिसका किराया शिक्षा विभाग के अफसर हर महीने दे रहे हैं। सीहोर में शुगर फैक्ट्री चौराहे पर शासकीय प्राइमरी स्कूल और दशहरा बाग का प्राइमरी स्कूल किराए के भवनों में लग रहे हैं।

 

एक स्टूडेंटस पर एक शिक्षक
छावर ब्लॉक के रामपुरा प्राथमिक स्कूल में दो स्टूडेंट हैं। दो छात्रों को पढ़ाने के लिए यहां पर दो शिक्षक को पदस्थ किया गया है। इसी प्रकार सीहोर विकास खण्ड के नरेला प्राथमिक शाला में तीन छात्र हैं और यहां पर दो टीचर पदस्थ हैं।

 


जिन स्कूल में छात्रों की उपस्थिति कम है, एडमिशन कम हैं, वहां सर्वे कर एडमिशन करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे सभी स्कूल चिन्हित किए जा रहे हैं। पिछले शिक्षण सत्र की तरह इस बार नहीं होगा। व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।

एसपी त्रिपाठी, डीईओ सीहोर

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