जिले में समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं खरीदी का सिलसिला जारी है। जिले में १६० सेंटरों में से करीब १२० सेंटर बंद हो चुके हैं। शेष ४० सेंटरों पर अभी भी खरीदी चल रही है। जिले में अभी तक गेहूं की ४ लाख १४ हजार ५४६ मैट्रिक टन खरीदी हो चुकी है।
वहीं इनमें से अभी तक तीन लाख ७२ हजार ११६ मैट्रिक टन का ही परिवहन हो सका है। धीमी गति से परिवहन होने के कारण जिले में समर्थन मूल्य खरीदी केन्द्रों पर खुले में रखे गेहूं पर सकंट के बादल मंडरा ने लगे हैं। मौसम विभाग ने भी बारिश की संभावना जताई है। ऐसी स्थिति में अगर बारिश होती है तो खुले में रखे गेहूं के भीगने के साथ खराब होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
श्यामपुर तहसील के खाइखेड़ा और रसूलपुरा में गेहूं में लग रही दीमक
श्यामपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले सेवा सहकारी समिति खाई खेड़ा एवं रसूलपुरा के गेहूं खरीदी केंद्रों पर परिवहन नहीं होने की वजह से खुले आसमान के बीच गेहूं की कट्टियां रखी हुई हंै। सेवा सहकारी समिति खाइखेड़ा के समिति प्रबंधक प्रेम नारायण साहू ने हमें बताया कि 32 हजार गेहूं की कट्टियां खाइखेड़ा पर और रसूलपुरा पर रखी हुई है।
पिछले 25 दिनों से गेहूं परिवहन नहीं हो पाया है जिसकी वजह से खुले में गेहूं पड़ा हुआ है। इस दौरान दो बार बारिश भी होने से गेहूं भीग चुका है। जिसकी वजह से नीचे रखे गेहूं की कट्टी के अंदर दीमक लग गई। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से कई बार शिकायत की जा चुकी है।
परिवहनकर्ता को भी बताया जा चुका है, लेकिन खरीदी केन्द्र से गेहूं का परिवहन नहीं हो पाया है। समिति प्रबंधक ने बताया कि बारिश से पहले परिवहन की व्यवस्था नहीं की गई तो दीमक के कारण गेहूं खराब होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
चना, मसूर की भी आ रही जमकर आवक
समर्थन केन्द्रों पर चना, मसूर और सरसों की आवक आ रही है। जिले में अभी तक १५ हजार ०५ किसानों से २१ हजार ६९३ मैट्रिक टन चना खरीदा जा चुका है। इसमें से करीब दस मैट्रिक टन चना खुले में रखा हुआ है। इसी तरह तीन हजार २२८ किसानों से तीन हजार ३० मैट्रिक टन मसूर खरीदी गई है। इसमें से करीब दो हजार टन का परिवहन हुआ है। वहीं करीब एक हजार मैट्रिक टन मसूर खुले में रखी हुई है। इसी तरह सरसो की ८०० क्विंटल खरीदी की गई है।
प्रशासन का तर्क तेजी से कराया जा रहा परिवहन
इधर मौसम में बदलते रुख से प्रशासन की धड़कनें बढ़ा है। समय पर समर्थन केन्द्रों से उपज का परिवहन नहीं होता है खुले में रखी उपज के भीगने पर खराब होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले में अभी भी करीब ५० हजार मैट्रिक टन गेहूं खुले में रखा है। इसी तरह चना, मसूर आदि भी बड़ी तदाद में खुले में रखी है।
इस संबंध में जिला आपूर्ति विभाग का तर्क है। गेहूं के परिवहन के लिए कलेक्टर तरूण कुमार पिथौड़े ने भी गुरुवार को बैठक ली गई है। जिले में खुले में रखे गेहूं के अलावा अन्य उपजों को गोदामों और केप में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। जिले में २७ हजार मैट्रिक टन के गोदाम खाली है और सात हजार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हर माह वितरित होने से रिक्त जगह बच रही है। इसके अलावा करीब ६० हजार मैट्रिक टन गेहूं, चना आदि केप में सुरक्षित रखवाया जा चुका है।
भुगतान में हो रही देरी
समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना, मसूर बेचने वालों को समय भी भुगतान नहीं मिल रहा है। कई किसानों को तो एक माह से भुगतान नहीं मिला है। इससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में प्रशासन का तर्क है कि गेहूं का करीब ९३ प्रतिशत किसानों को भुगतान हो चुका है। वहीं चना, मसूर, सरसो बेचने वाले ६८ प्रतिशत किसानों को भुगतान हो चुका है।शेष की प्रक्रिया चल रही है।
-समर्थन केन्द्रों पर रखे गेहूं का परिवहन तेजी से चल रहा है। करीब ५० हजार मैट्रिक टन गेहूं, चना, मसूर आदि खुले में रखा है। इसमें से करीब ३४ हजार मैट्रिक टन गोदाम खाली है।इसके अलावा केप में उपज पहुंचाई जा रही है। -शैलेष शर्मा, जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सीहोर
गेहूं खरीदी
पिछले साल-४ लाख ४३ हजार मैट्रिक टन
इस साल-४ लाख १४ हजार ५५६ मैट्रिक टन
परिवहन- तीन लाख ७२ हजार ११६ मैट्रिक टन
किसानों की संख्या- ५० हजार ९६९