शहर का दायरा और आबादी तेजी से बढऩे के कारण पुराने इंदौर-भोपाल हाइवे किनारे की अधिकांश जमीन कृषि भूमि से रहवासी क्षेत्र में परिवर्तित हो चुकी है, अब धीरे-धीरे शहर बायपास की तरफ रूख कर रहा है।
बायपास के आसपास कई हाउसिंग प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। सरकारी संस्थान भी इधर ही शिफ्ट हो रहे हैं। शासकीय मॉडल स्कूल, डाइट, आरटीओ, पुलिस आवास, रेशम केन्द्र बायपास पर शिफ्ट हो चुके हैं, वहीं मैकेनिक नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (एनआईएमएचआर) के डेवलपमेंट का काम प्रस्तावित है।
नगर सीमा की जद में कई गांव
शहर की चतुर्थ सीमा की बात की जाए तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से आगे सिर्फ खेत नजर आते थे, अब यह अच्छे खासे आबादी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया है। कई बड़े स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी इसी क्षेत्र में हैं।
शहर की चतुर्थ सीमा की बात की जाए तो हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी से आगे सिर्फ खेत नजर आते थे, अब यह अच्छे खासे आबादी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया है। कई बड़े स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी इसी क्षेत्र में हैं।
थूना-पचामा गांव एक तरह से शहर का ही हिस्सा बन गए हैं। इधर, श्यामपुर रोडपर बिजौरी गांव से आगे तक कृषि भूमि पर कॉलोनियां डेवलप हो रही हैं। शहर के बाहर बसाया गया औद्योगिक क्षेत्र आबादी से घिर गया है। इंदौर नाका क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहा है, मुगीसपुर तक कृषि भूमि रहवासी क्षेत्र में परिवर्तित हो गईहै, कई बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
दोगुनी हो गई शहर की आबादी
साल 2011 की जनगणना के हिसाब से शहर की आबादी करीब एक लाख 10 हजार थी, लेकिन अब यह आबादी दो लाख के ऊपर हो गई है। शहर की आबादी तेजी से बढऩे का मुख्य कारण गांव के किसानों को रूख शहर की तरफ होना है। अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर किसान गांव से शहर की तरफ रूख कर रहे हैं। कुछ ने तो गांव और शहर दोनों जगह मकान बना रखे हैं। गांव के शहर से एक बड़ी आबादी के शहर में शिफ्ट होने या किराए से रहने को लेकर शहर की आबादी में तेजी से इजाफा हो रहा है।
साल 2011 की जनगणना के हिसाब से शहर की आबादी करीब एक लाख 10 हजार थी, लेकिन अब यह आबादी दो लाख के ऊपर हो गई है। शहर की आबादी तेजी से बढऩे का मुख्य कारण गांव के किसानों को रूख शहर की तरफ होना है। अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर किसान गांव से शहर की तरफ रूख कर रहे हैं। कुछ ने तो गांव और शहर दोनों जगह मकान बना रखे हैं। गांव के शहर से एक बड़ी आबादी के शहर में शिफ्ट होने या किराए से रहने को लेकर शहर की आबादी में तेजी से इजाफा हो रहा है।
शहर की आबादी बढ़ी, लेकिन संसाधन नहीं
शहर की आबादी तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन नगर पालिका के पास संसाधन पहले के बराबर ही है। नगर पालिका के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने को लेकर शहरवासियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि संसाधन के अभाव के चलते ही नगर पालिका परिसीमन में शहर का दायरा बढ़ाने से हाथ पीछे खींच रही है। पहले तो यह उम्मीद की जा रही थी कि थूना-पचामा, मुगीसपुर, शेरपुर और बिजौरी नगर पालिका क्षेत्र में शामिल हो जाएंगे, लेकिन अब अफसर आनाकानी कर रहे हैं।
शहर की आबादी तो तेजी से बढ़ रही है, लेकिन नगर पालिका के पास संसाधन पहले के बराबर ही है। नगर पालिका के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने को लेकर शहरवासियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि संसाधन के अभाव के चलते ही नगर पालिका परिसीमन में शहर का दायरा बढ़ाने से हाथ पीछे खींच रही है। पहले तो यह उम्मीद की जा रही थी कि थूना-पचामा, मुगीसपुर, शेरपुर और बिजौरी नगर पालिका क्षेत्र में शामिल हो जाएंगे, लेकिन अब अफसर आनाकानी कर रहे हैं।
कौन क्या कहता है…
शहर के बीच में डेवलपमेंट के लिए खाली जमीन बची नहीं है, इसलिए डेवलपमेंट शहर से बाहर हो रहा है। सीहोर शहर के इंदौर-भोपाल रूट पर होने के कारण भविष्य को लेकर काफी संभावनाएं हैं।
– अनिल राय, बिल्डर सीहोर
शहर के बीच में डेवलपमेंट के लिए खाली जमीन बची नहीं है, इसलिए डेवलपमेंट शहर से बाहर हो रहा है। सीहोर शहर के इंदौर-भोपाल रूट पर होने के कारण भविष्य को लेकर काफी संभावनाएं हैं।
– अनिल राय, बिल्डर सीहोर
15 साल पहले यहां सिर्फ खेत ही खेत थे। इंदौर भोपाल हाइवे के शिफ्ट होने के बाद इस क्षेत्र का विकास तेजी से हुआ है। अब यहां कृषि भूमि थोड़ी ही बची है, जो बची है, उसके दाम बहुत है।
– मानपाल कुशवाह, इंदौर नाका
– मानपाल कुशवाह, इंदौर नाका
कंजेस्टेड एरिया की अपेक्षा खुलेपन में रहना ज्यादा अच्छा लगता है, इसलिए लोग नए रिहायशी क्षेत्र में मकान खरीदना और रहना ज्यादा पसंद करते हंै। समय से साथ हर शहर का दायरा और आबादी बढ़ती है।
– प्रफुल्ल त्यागी, युवा
– प्रफुल्ल त्यागी, युवा