पिछले साल अल्प वर्षा ने गर्मी में जल संकट होने का इशारा कर दिया था, लेकिन जिम्मेदारों को इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। औसत से भी कम बारिश के कारण न तो नदियों की प्यास बुझी न ही तालाबों के पेट भर पाए। इसके चलते इस साल मार्च माह से ही पानी को लेकर स्थिति खराब होने लगी थी। अप्रैल आते-आते जिले के कुछेक तालाबों को छोड़कर अधिकांश डेड स्टोरेज में पहुंच गए हैं। इसी तरह नदियों ने जवाब दे दिया। है थोड़ा बहुत पानी कुछ तालाब और बंधानों में बचा है, तो वह अप्रैल माह या ज्यादा से ज्यादा आधे मई तक ही पूर्ति कर पाएंगे। इसके बाद जल संकट अपना उग्र रूप ले लेगा। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों कुएं और टयूबवेलों ने भी जवाब दे दिया है।
सुबह से रात तक पानी की जुगत में नजर आ रहे शहरवासी
शहर में काहिरी बंधान, जमोनिया और भगवानपुरा तालाब से जल आपूर्ति की जाती है। वही सीवन नदी से शहर का जलस्तर बना रहता है, लेकिन अब स्थिति यह है कि भगवान पुरा तालाब का पानी सूख चुका है। जमोनिया तालाब में भी महज आठ से नौ फीट पानी बचा है। पार्वती नदी के काहिरी डाल में भी अंतिम चरणों में पानी शेष रहा है। सीवन नदी के भरोसे नदी के आसपास निवास करने वाले लोगों के ट्यूबवेल, हैंडपंप आदि जलस्त्रोत चार्ज रहते थे, लेकिन सीवन नदी की धार भी कुंद हो गई है। इसके कारण नदी के निकट निवास करने वालों के लोगों के जलस्त्रोत जवाब देने लगे हैं। शहर में जलसंकट की भयभयता अभी से दृष्टिगोचर होने लगी है।
शहर में काहिरी बंधान, जमोनिया और भगवानपुरा तालाब से जल आपूर्ति की जाती है। वही सीवन नदी से शहर का जलस्तर बना रहता है, लेकिन अब स्थिति यह है कि भगवान पुरा तालाब का पानी सूख चुका है। जमोनिया तालाब में भी महज आठ से नौ फीट पानी बचा है। पार्वती नदी के काहिरी डाल में भी अंतिम चरणों में पानी शेष रहा है। सीवन नदी के भरोसे नदी के आसपास निवास करने वाले लोगों के ट्यूबवेल, हैंडपंप आदि जलस्त्रोत चार्ज रहते थे, लेकिन सीवन नदी की धार भी कुंद हो गई है। इसके कारण नदी के निकट निवास करने वालों के लोगों के जलस्त्रोत जवाब देने लगे हैं। शहर में जलसंकट की भयभयता अभी से दृष्टिगोचर होने लगी है।
मैदान में बदल गई पार्वती नदी, पानी के लिए परेशान
क्षेत्र में एक मात्र पार्वती नदी से ही जल आपूर्ति की जाती है। जरूरत पडऩे पर रामपुरा डेम से पानी नदी में लिया जाता है। पानी को लेकर क्षेत्र में स्थिति विकट है। पार्वती नदी मैदान में बदल गई है। रामपुरा तालाब बारिश में नहीं भरने के कारण यह भी लगभग खाली ही है। क्षेत्र के लोग निजी बोरिंग हैंंडपंप और कुओं पर ही आश्रित है। नलों में एक-एक सप्ताह में पानी आ रहा है।
क्षेत्र में एक मात्र पार्वती नदी से ही जल आपूर्ति की जाती है। जरूरत पडऩे पर रामपुरा डेम से पानी नदी में लिया जाता है। पानी को लेकर क्षेत्र में स्थिति विकट है। पार्वती नदी मैदान में बदल गई है। रामपुरा तालाब बारिश में नहीं भरने के कारण यह भी लगभग खाली ही है। क्षेत्र के लोग निजी बोरिंग हैंंडपंप और कुओं पर ही आश्रित है। नलों में एक-एक सप्ताह में पानी आ रहा है।
लोगों का जरूरत का आधा भी नहीं मिल रहा पानी
इछावर क्षेत्र को प्रतिदिन लगभग १३ लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में सात लाख लीटर से भी कम नागरिकों को मिल पा रहा है। क्षेत्र के आसपास लसुडलिया, नयापुरा, विनायकपुरा सहित अन्य छोटे तालाब है। लेकिन सभी तालाब लगभग सूख चुके हैं। मात्र काकडख़ेड़ा क्षेत्र में लगी आधा दर्जन टयूबवेलों से क्षेत्र को जल सप्लाई की जाती है। जो जरूरत के अनुसार काफी कम है। गर्मी के बढऩे के साथ ही स्थिति बिगडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इछावर क्षेत्र को प्रतिदिन लगभग १३ लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में सात लाख लीटर से भी कम नागरिकों को मिल पा रहा है। क्षेत्र के आसपास लसुडलिया, नयापुरा, विनायकपुरा सहित अन्य छोटे तालाब है। लेकिन सभी तालाब लगभग सूख चुके हैं। मात्र काकडख़ेड़ा क्षेत्र में लगी आधा दर्जन टयूबवेलों से क्षेत्र को जल सप्लाई की जाती है। जो जरूरत के अनुसार काफी कम है। गर्मी के बढऩे के साथ ही स्थिति बिगडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है।
नर्मदा नदी होने के बाद भी जलसंकट के हालात
नसरूल्लागंज/बुधनी. क्षेत्र में भी जल संकट साफ तोर पर नजर आ रहा है। कुछ हद तक नर्मदा नदी का पानी लोगों की प्यास बुझा रहा है। लेकिन क्षेत्र में लगे अधिकतर जल स्त्रोतों ने दम तोड़ दिया है। इस कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जल संकट की स्थिति बनने लगी है।
नसरूल्लागंज/बुधनी. क्षेत्र में भी जल संकट साफ तोर पर नजर आ रहा है। कुछ हद तक नर्मदा नदी का पानी लोगों की प्यास बुझा रहा है। लेकिन क्षेत्र में लगे अधिकतर जल स्त्रोतों ने दम तोड़ दिया है। इस कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जल संकट की स्थिति बनने लगी है।