बताया जा रहा है कि जिला माइनिंग अधिकारी अहमद खान को कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा ने पत्रिका इपीएस भेजकर नहलाई में संचालित रेत के अवैध कारोबार को बंद करने के आदेश दिए थे।
कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद माइनिंग का अमला हरकत में आया और जिला माइनिंग ऑफिसर अहमद खान, माइनिंग इंस्पेक्टर पूजा बानखेड़ टीम के साथ रेहटी के नहलाई नर्मदा घाट पर पहुंची। माइनिंग ऑफिस खाने ने बताया कि रेत उत्खनन के लिए नर्मदा की धार रोककर बनाए गए रास्ते को जेसीबी की मदद से हटवा दिया है। मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम द्वारा संचालित खदा को अस्थाई रूप से बंद करा दिया गया है। अब यदि कोई कंपनी नहलाई रेत खदान से रेत का उत्खनन करती है तो वह अवैध होगा। उन्होंने बताया कि यह खदान कुछ दिन पहले ही चालू की गई थी।
रेहटी के नहलाई घाट पर नर्मदा का सीना चीर रेत उत्खनन के लिए जो सड़क बनाई गई थी, वह इंदौर की एक बड़ी कंपनी से जुड़े रेत कारोबारियों की करतूत थी। माइनिंग की टीम ने प्रशासनिक दबाव में फिलहाल तो रास्ता हटाकर खदान को बंद करा दिया है, लेकिन रेत माफिया इसे फिर से चालू करने की फिराक में रहेंगे। ऐसे में यदि खदान फिर से चालू होती है तो माइनिंग की कार्रवाई एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी। खदान को बंद कराने और रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए जरूरी है कि यहां लगातार मॉनीटरिंग की जाए।
माइनिंग की टीम जब नहलाई रेत खदान से सीहोर लौट रही थी तो रास्ते में चार गिट्टी के ओवरलोड डंपर मिले। यह डंपर रायसेन जिले से सीहोर गिट्टी लेकर आए थे। एक डंपर शाहगंज में ओवरलोड़ जब्त किया। शाहगंज से जैसे ही माइनिंग की टीम बुदनी की तरफ बढ़ी तो यहां रास्ते में तीन डंपर गिट्टी लेकर जाते मिले। माइनिंग की टीम ने जब ओवरलोड डंपर की जांच की तो एक के पास गिट्टी के बजाय रेत की रॉयल्टी निकली। माइनिंग की टीम ने इस डंपर के खिलाफ ओवरलोडिंग के साथ अवैध उत्खनन का भी प्रकरण दर्ज किया है।