सीहोर. खाली पड़े ट्री गार्ड, सूख रहे पौधे पौधरोपण की परिभाषा स्वयं कह रहे हैं। वल्र्ड रिकार्ड बनाने तीन दिन पहले 2 जुलाई को 27 लाख पौधों का रोपण किया गया था। जमीनी स्तर पर अभी से पौधों का हश्र नजर आने लगा है। इसकी हकीकत शहर में किए गए पौधे बयां कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि पौधे रोपने के बाद कहीं जगह तो पौधरोपण की सुध लेना ही भूल गए हैं।
जिले में हरियाली लाने हर साल पौधरोपण किया जाता है। इस साल भी जिले में दो जुलाई को महोत्सव के रूप में जिले में 27 लाख 73 हजार पौधों का रोपण कर वल्र्ड रिकार्ड बनाया गया। नर्मदा पट्टी के अलावा जिलेभर भर में पौधरोपण किया गया। पौधरोपण करने के साथ पौधों को भी बचाने संकल्प लिया गया, लेकिन तीन दिन के भीतर की पौधों का हश्र देखने लायक हो गया है। कई जगह पौधों में पानी नहीं देने से वह सूख चुके हैं तो कई जगह पौधे रोपने गड्ढे तो खोदे गए, लेकिन पौधे रोपे ही नहीं गए। कई जगह कागजों में ही पौधरोपण हो गया।
इंदौर नाका स्थित वन विभाग की नर्सरी में भी पौधे सूखे नजर आ रहे हैं। कई पौधे तो दम भी तोड़ चुके हैं। इस संबंध में वन विभाग के रैंजर एसएम खरे का कहना है कि कतने पौधे रोपे गए थे। जानकारी नहीं है, उन्होंने आज ही चार्ज लिया है।
पीजी कॉलेज परिसर में कॉलेज प्रबंधन और विद्यार्थियों ने पौधे तो लगा दिए, लेकिन उनकी देखरेख की तरफसे मुहं मोड़ लिया, लिहाजा अनेक पौधे शुरूआत में ही दम तोड़ गए हैं। यहां करीब दो सौ से अधिक पौधे रोपे गए थे।
पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से इस बार शहरी क्षेत्र में भी व्यापक पैमाने पर पौधरोपण किया गया। नपा के टाउन हाल में हश्र यह है कि पौधे सूखकर अपनी स्थिति स्वयं बयां कर रहे हैं।
आवासीय स्कूल परिसर में भी दो जुलाई को पौधरोपण किया गया था, लेकिन तीन दिन के भीतर ही अनेक पौधों को मवेशी चर गए। इस तरफ स्कूल प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया गया।
जिले में दो जुलाई को 27 लाख पौधे रोपे गए थे। नर्मदा पट्टी सहित जिले भर में पौधेरोपने में लापरवाही करने वालों को भुगतान नहीं होगा। इसके साथ ही स्वयं सेवी संस्थाओं के लापरवाही करने वालों के संबंध में सीईओ को अवगत कराया जाएगा। -राजेश राय, प्रभारी पौधरोपण जिला पंचायत