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रेत का अवैध उत्खनन रोकने जिले की सीमा पर बनेंगे तीन टोल बैरियर

locationसीहोरPublished: Dec 20, 2016 11:31:00 pm

Submitted by:

Bharat pandey

जनवरी में शुरू किए जाएंगे टोल बैरियर, तैनात होगा अमला, लगाए जाएंगे सीसीटीवी कैमरे

sehore toll barrier

sehore toll barrier

सीहोर। पुलिस, राजस्व और खनिज विभाग के लगतार कार्रवाई करने के बाद भी रेत का अवैध कारोबार बंद नहीं हो रहा है। रेत के अवैध कारोबार को रोकने के लिए एक बार फिर से जिला प्रशासन ने नई योजना बनाई है। जिला प्रशासन जनवरी महीने में रेत के अवैध करोबार को रोकने के लिए जिले की तीनों सीमा पर सरकारी टोल बैरियर बनाने की योजना बना रहा है। सरकारी टोल पर पुलिस और खनिज विभाग के कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। टोल बेरियल पर तैनात अमला रेत लेकर निकले वाले ट्रक, डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली की रॉयल्टी देखेंगे, बल्कि क्षमता से ज्यादा वाहन में रेत होने पर कार्रवाई की की जाएगी।


जानकारी के अनुसार यह टोल बैरियर इंदौर-भोपाल स्टेट हाईवे और बुदनी-होशंगाबाद हाईवे पर बनाए जाएंगे। तीन दोनों सड़क मार्ग से ही रेत के डंपर, ट्रक इंदौर, भोपाल और होशंगाबाद के लिए आवाजाही करते हैं। जिला प्रशासन की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार इन टोल नाके पर सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएंगे। टोल बैरियल पर सड़क से निकलने वाले हर वाहन की एंट्री की जाएगी। मालूम हो, रेत के अवैध करोबार के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान होने के साथ सड़क जर्जर हो रही हैं, वहीं नर्मदा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है। रेत माफिया नर्मदा तटीय नीलकंठ, चौरसाखेड़ी, छीपानेर, छिदगांव काछी और आंबाजदीद गांव में नर्मदा की बीच धार से अवैध उत्खनन कर रहे हैं। नदी की बीच धार में उत्खनन कर नाव के जरिए रेत को किनारे तक लाया जाता है और किनारे से रेत ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर और ट्रक में भरकर इंदौर-भोपाल, होशंगाबाद भेज दिया जाता है। नर्मदा नदी से एक दिन में करीब एक हजार डंपर रेत निकल रहा हैं। नर्मदा किनारे के कुछ गांव में तो खुलेआम दिन में रेत का अवैध उत्खनन परपंरागत तरीके से किया जाता है। जिला प्रशासन ने पुलिस और खनिज अमले के साथ कई बार इन गांव में दबिश भी दी है, लेकिन अफसरों के हटते ही फिर से अवैध उत्खनन होने लगता है।


खुलेआम हो रहा अवैध कारोबार
नसरुल्लागंज और बुदनी क्षेत्र में रेत माफिया नर्मदा को खोखला करने में लगे हैं। माफिया की राजनीतिक स्तर पर पकड़ मजबूत है। कई नेता तो खुलेआम रेत का अवैध करोबार कर रहे हैं। अफसर जब इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए अभियान चलाते हैं, तो राजनीतिक दबाव आ जाता है। कई बार तो राजनीतिक दबाव में खनिज और राजस्व विभाग की टीम को बिना कार्रवाई किए ही लौटना पड़ता है। रोज-रोज के इस झंझट से निपटने के चक्कर में जिला प्रशासन ने स्थाई टोल नाके बनाकर अवैध उत्खनन को रोकने की योजना बनाई है।

सरकार को नुकसान
रेत उत्खन्न से होने वाली आय एक वर्ष में चार करोड़ रुपए तक घट गई है। वर्ष 2013-14 में रेत खदानों से खनिज विभाग को 7 करोड़ 41 लाख रूपए की शुद्ध आय प्राप्त हुई थी, वहीं वर्ष 2015-16 में यह घटकर तीन करोड़ सात लाख रह गई। अवैध उत्खनन तेजी से बढ़ रहा है। साल 2013-14 में अवैध रेत उत्खन्न के जहां 215 मामले सामने आए थे। इन मामलों में खनिज विभाग ने 17 लाख 35 हजार रूपए जुर्माना राशि वसूली, वहीं वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 46 लाख 64 हजार रूपए तक पहुंच गया। साल 2015-16 की बात करें तो एक अप्रैल से नवंबर महीने तक 406 मामले आए हैं, जिनसे करीब 13 करोड़ 30 लाख रूपए की वसूली की गई है।
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