कृषि विभाग किसानों को सोयाबीन फसल में इल्ली दिखाई देते ही उपचार की सलाह दे रहा है। पिछले सप्ताह हुई निरंतर बारिश से निचले क्षेत्र की सोयाबीन के पौधे पीले पड़ने लगे हैं। कुछ दिन बारिश होने के बाद जब मौसम खुला और धूप निकली तो पानी की निकासी होने लगी, अभी 30 तो कहीं 40 दिन की फसल हो गई है। सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटी में फूल आ गए हैं। कीटों के लिए कीटनाशी दवा का छिड़काव करना आवश्यक है। किसान बता रहे हैं कि पिछले कुछ दिन से इल्ली का प्रकोप दिखाई दे रहा है। यदि समय रहते इस पर कंट्रोल नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में काफी नुकसान हो सकता है। इनमें सेमिलूपर, तना मक्खी और चना इल्ली भी दिखाई दे रही है। सीहोर और आष्टा में इसका ज्यादा असर दिखाई दे रहा है।
तने की मक्खी के नियंत्रण के लिए थायोमिथाक्सम में लेंबडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिडक़ाव करें।
पत्ती खाने वाले कीटों की सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले ही क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी (150 मिली प्रति हे.) का छिड़काव करें।