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अन्नदाता किसानों की फसलें हुई बर्बाद, मुआवजे की आंस

locationसेंधवाPublished: Oct 26, 2019 10:22:53 am

Submitted by:

vishal yadav

24 हजार किसानों से बीमा कंपनी ने वसूला 1 करोड़ रुपया, बर्बाद हुई फसलें, अब मुआवजे की राह देख रहे किसान, सोसायटियों में भरा रहे फॉर्म, लेकिन मुआवजा कब मिलेगा ये तय नहीं

Farmers' crop deteriorated

Farmers’ crop deteriorated

बड़वानी/सेंधवा. नगर सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में इस वर्ष करीब दोगुने तक बारिश हुई है। इस कारण से विकासखंड के विभिन्न गांव में सैकड़ों किसानों की फसलों के खराब होने की सूचनाएं मिलने लगी है, लेकिन अभी तक बीमा योजना का लाभ नहीं मिला। किसानों के सब्र का बांध टूट रहा है। एक तरफ कई किसानों के खेतों में फसलें तबाह हो गई। वहीं लाखों रुपए की प्रीमियम भरने के बाद भी किसानों के हाथ खाली ही है। अब राजनीतिक स्तर पर भी मामला गरमाने लगा है। सेंधवा विधायक ने इस पूरे मामले को केंद्र सरकार की योजना के क्रियांवयन की लापरवाही का नतीजा बताया।
सेंधवा विकासखंड में पिछले 4 माह में करीब 1000 मिमी बारिश हो चुकी है। इससे किसानों के खेतों में पानी भर आने से मक्का और सोयाबीन की फसलों को नुकसान हुआ है। खासकर मक्का की फेसल को ज्यादा नुकसान की सूचनाएं मिल रही है। किसानों के खेतों में फसलों के नुकसान के बाद भी फसल बीमा की क्लेम की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से चल रही है, जिससे किसान नाराज है। इस बार भी लाखों रुपए का प्रीमियम जमा होने के बाद भी अभी तक फसल बीमा की प्रक्रिया शुरू तो हुई है, लेकिन इसकी गति बेहद धीमी है।
24 हजार किसानों से वसूली 1 करोड़ से अधिक प्रीमियम
इस वर्ष 31 जुलाई तक बीमा कंपनियों ने सोसायटी के माध्यम से किसान की फसलों का बीमा किया, जिसमें 400 से लेकर 2100 रुपए तक प्रति हेक्टेयर प्रीमियम ली है। सिर्फ सेंधवा क्षेत्र कैब 24 हजार से अधिक किसानों से 1 करोड़ रूपए से अधिक प्रीमियम वसूल की है। सेंधवा विकासखंड के की सोसायटियों में ऋणी व गैर ऋणी हितग्राही किसानों को बीमा का लाभ देने की एवज में लाखों रुपए का प्रीमियम जमा किया है। विधायक प्रतिनिधि राकेश रावत ने बताया कि अगस्त और सितंबर माह में लगातार बारिश होने से यदि किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन अब तक उन्हें अपनी फसल का मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि प्रीमियम लेते समय तो बीमा कंपनियां सोसाइटी के माध्यम से लाखों रुपए का प्रीमियम एकत्र कर लेती है, लेकिन जब फसल के खराब होने पर बीमा देने की बारी आती है, तो कंपनियां हाथ खड़े कर रही है ये किसानों के साथ धोखा है।
पोर्टल में नाम दर्ज कराने की चल रही प्रक्रिया
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सेंधवा शाखा के पर्यवेक्षक जेएन चौहान बताया कि सेंधवा के तहत 5 सोसायटी सहित अन्य सोसायटियों में किसानों से फॉर्म भरा कर उनका नाम पोर्टल में दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है। कई किसान अपनी फसलों सूचनाएं लेकर आ रहे है। हमारे द्वारा उनके नाम और रकबा नंबर पोर्टल में दर्ज किए जा रहे हैं। इसके बाद की कार्रवाई राजस्व विभाग को करनी है। शासन के निर्देश के बाद पटवारी सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी किसानों के खेतों में जाकर फसलों का आकलन करेंगे और मुआवजा तय किया जाएगा। ये पूरी प्रक्रिया शासन स्तर पर होती है। सोसायटी और द्वारा सिर्फ किसानों का नाम पोर्टल में दर्ज कराया जाता है। बाकी कार्य राजस्व अमले को करना होगा।
बुजुर्ग किसानों के अंगूठे के निशान बन रहे परेशानी
चौहान ने बताया कि पोर्टल में नाम दर्ज करने के दौरान कई बुजुर्गों के अंगूठे के निशान थंब इंप्रेशन मशीन पर नहीं लग पा रहे है। इससे उनके आधार संख्या की प्रविष्टि नहीं हो पा रही है। ऐसी समस्या कई ग्रामीण क्षेत्रों में आ रही है। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है। जामली स्थित सरकारी संस्था में 119 के साथ ऐसे है, जो अधिसूचित मक्का की फसल के लिए आवेदन दे चुके है, लेकिन उनके आधार की एंट्री पोर्टल में नहीं हो पा रही है। इसके अतिरिक्त जाटनी की सहकारी संस्था में 30 से अधिक किसान ऐसे हैं। जिनके आधार पर नाम तो सही है इसके बाद भी पोर्टल पर एंट्री नहीं हो पा रही है। इससे किसान और सोसायटी कर्मचारी दोनों ही परेशान हो रहे। जब तक पोर्टल पर किसानों के आधार कार्ड की एंट्री नहीं होगी। तब तक उनकी फसलों की मुआवजे की राशि उन्हें नहीं मिल पाई।
किसान सोसायटियों में दर्ज कराए शिकायत
ऐसे किसान जिनकी मक्का और सोयाबीन की फसलें बारिश के कारण खराब हो गई है। ऐसे किसानों को अपने क्षेत्र की सहकारी सोसायटी ओं में जाकर सूचना सह दावा प्रपत्र फॉर्म को भरकर सोसाइटी कर्मचारियों को देना होगा। इसमें बीमित किसान का नाम उसका पूरा पता मोबाइल नंबर आधार नंबर सहित जिस क्षेत्र में फसल को नुकसान हुआ है। उसका पूरा ब्यौरा देना होगा। जिस बैंक शाखा में किसान का बीमा किया गया है। उसका भी ब्यौरा फॉर्म में भरना होगा। यहां पर किसानों को ये बताना होगा कि वह ऋणी या गैर ऋणी किसान है। प्रीमियम की राशिए क्रेडिट कार्ड नंबर आदि की जानकारी देनी होगी। संबंधित फॉर्म में फसल नुकसान का कारण भी बताना होगा। फॉर्म में किसान द्वारा एक घोषणापत्र की दिया जाएगा। इसमें फसल खराब होने सहित अन्य जानकारियों का उल्लेख करना होगा। इस प्रक्रिया के बाद सोसाइटी कर्मचारी किसान की जानकारी पोर्टल में दर्ज करेंगे। उसके बाद उससे फसल बीमा की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। हालांकि फसल का बीमा कब मिलेगा। ये संबंधित बीमा कंपनी द्वारा तय किया जाएगा।
नाम – किसानों की संख्या -प्रीमियम की राशि
सेंधवा – 15.064 -55 लाख 59 हजार 639 रुपए
धनोरा – 1375 – 5 लाख 48 हजार 566 रुपए
झिरिजामली -991 – 7 लाख 24 हजार 634
चाचरिया -982 – 6 लाख 11 हजार 64 रुपए
खुरमबाद- 1897 – 6 लाख 86 हजार 536 रुपए
वरला -1354 – 15 लाख 60 हजार 555 रुपए
धवली -2136 – 8 लाख 81 हजार 502 रुपए
बलवाड़ी -674 – 5 लाख 67 हजार 750 रुपए
योग – 24473 – 1 करोड़ 11 लाख 40 हजार 246
वर्जन…
किसानों को प्रीमियम देने के बाद भी खराब फसलों का मुआवजा नहीं मिला है। ऐसे में कई क्षेत्रों के हजारों किसान परेशान हो रहे है। पीडि़त किसानों को जल्द मुआवजे की राशि दी जानी चाहिए।
-ग्यारसीलाल रावत, विधायक सेंधवा
क्रॉप कटिंग के बाद जो नुकसान किसान का हुआ है, उसका आकलन राजस्व अमले सहित कृषि विभाग के कर्मचारी मिलकर करेंगे। रिपोर्ट बनाकर ग्वालियर मुख्य कार्यालय भेजी जाएगी। इसके बाद बीमा कंपनी को ही तय करना है कि वह कितना मुआवजा देगी।
-एमएल मंडलोई, एसडीओ कृषि विभाग

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