Water budgeting : सामाजिक संस्था की पानी का गणित मुहिम लाई रंग
संस्था ने डेम में गेट लगवाकर रुकवाया पानी, गांवों में चलाई वॉटर बजटिंग मुहिम

सेंधवा/निवाली. आज एक ऐसा विषय है, जिस पर भूतकाल से लेकर वर्तमान तक सबसे ज्यादा जागरुकता की आवश्यकता आन पड़ी है। जल संकट पूरी दुनिया में अपने पैर पसार चुका है। जब इसके कारण में जाते है, तो हमें पता ही नहीं है कि हमारे पास पानी कितना है और हमारी जरुरतें कितनी है। यदि इस गणित से हम अवगत हो गए तो जल संकट का प्रबंधन किया जा सकता है। इन्हीं प्रश्नों के जवाब देने के लिए रिलायंस फाउंडेशन सेंधवा द्वारा सेंधवा, निवाली क्षेत्र के गांवों में वाटर बजटिंग यानी पानी का गणित नामक जागरुकता मुहिम चलाई जा रही है।
मुहिम में ग्रामीणों के साथ बैठकर उनके गांव का वॉटर बजट तैयार किया जाता है। इसमें गांव में कितना पानी बरसता है अर्थात उपलब्ध पानी तथा हमारी खेती एवं घरेलू उपयोग में कितने पानी की जरुरत है, कितना पानी बहकर गांव से बहकर बाहर जाता है, कितना जमीन के अंदर एवं बाहर संरक्षित होता है, इन सभी आंकड़ों से गांव की जरुरत एवं पानी की उपलब्धता ज्ञात होती है, जिसे सार्वजनिक जगह पर पेंट करवाकर ग्रामीणों को उनके गांव की वर्तमान पानी की स्थिति से अवगत कराया जा रहा है, इस मुहिम का उद्देश्य न केवल ग्रामीणों को पानी के मुद्दे पर संवेदनशील बनाना है, बल्कि सरकारी योजनाओं एवं पंचायत की वार्षिक कार्ययोजना में भी पानी संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता पर लाना है। अभी तक 57 गांवों में जागरुकता कार्यक्रम किए जा चुके है। इसमें 2000 से अधिक ग्रामीणों को जागरूक किया जा चुका है। कार्यक्रमों के दौरान पता चला कि वर्तमान में सभी गांवों में लाखों घन मीटर पानी की कमी है, जिसे बहकर गए पानी को डेम, तालाब बनाकर रोका जा सकता है।
दिवानिया गांव ने अमल में लाई वॉटर बजटिंग
निवाली विकासखंड की पंचायत दिवानिया में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा वाटर बजट तैयार कर सार्वजनिक जगह पर पेंटिंग करवा दिया गया था। जब गांव वालों ने देखा कि उनके गांव में लाखों घन मीटर पानी की कमी है। तब पानी के संरक्षण पर चिंता बढ़ी। उन्होंने जल संरक्षण के मुद्दों को हर मंच पर प्राथमिकता से रखा। इसमें पुराने डेम जिनमे सिर्फ गेट लगाकर पानी रोका जा सकता है। ऐसे डेम का चिह्नांकन कर उनकों रिपेयर करने के लिए प्रयास प्रारंभ किए। इसमें एक डेम के लिए रिलायंस फाउंडेशन सेंधवा ने गेट लगवाकर उनकी मदद की और आज उस डेम में करीब 90 हजार क्यूबिक मीटर पानी संरक्षित हो रहा है। इससे आसपास के 25 किसान 52 एकड़ क्षेत्र में इस वर्ष गेहूं की फसल लेने में समर्थ हुए है। दिवानिया गांव के लोगों द्वारा पंचायत में जीपीडीपी में भी जल संरक्षण के लिए गतिविधियां रखी गई है। इस वर्ष भी ऐसी संरचनाओं का जीर्णोद्धार प्रस्तावित है।
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