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लाख कोशिशों के बाद भी इस जिले के 14 फीसदी बच्चे कुपोषित

locationसिवनीPublished: Jun 25, 2019 12:26:49 pm

Submitted by:

sunil vanderwar

जिले में 1208 बच्चे अतिकुपोषित, धूमा परियोजना में सर्वाधिक, सिवनी-1 में कम

seoni

लाख कोशिशों के बाद भी जिले के 14 फीसदी बच्चे कुपोषित

सुनील बंदेवार सिवनी. अपनी जागरूकता को लेकर देश व प्रदेश में अलग पहचान बनाने वाले सिवनी जिले की कुपोषण को लेकर स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इस जिले के नागरिकों ने जागरुकता का परिचय देते हुए जिम्मेदार अफसरों को राज्य व केन्द्र तक सम्मान पाने का अवसर प्रदान किया है। किंतु जागरुक जिले में बचपन सुरक्षित नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि जिले के 14 प्रतिशत बच्चे कुपोषण (1208 बच्चे अतिकुपोषित ) का दंश झेल रहे हैं। ऐसे में जहां नागरिकों की जागरुकता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है, तो वहीं कुपोषण के खिलाफ शासन-प्रशासन द्वारा छेड़ी गई जंग भी सवालों के घेरे में है।
विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की संख्या धूमा परियोजना अंतर्गत 19 प्रतिशत है, जबकि सबसे कम सिवनी ग्रामीण-1 में 08 प्रतिशत। इसके अलावा बरघाट में 16 प्रतिशत। छपारा में 12 प्रतिशत। धनौरा में 16 । घंसौर में 15 प्रतिशत। केवलारी में 15 प्रतिशत। कुरई में 13 प्रतिशत। लखनादौन में 12 प्रतिशत। सिवनी नवीन में 10 प्रतिशत। सिवनी-2 में 10 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।
दरअसल शासन द्वारा बच्चों को कुपोषण के दंश से बाहर निकालने प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है। बावजूद इसके कुपोषण के ग्राफ में बहुत सुधार नहीं आया है। हालांकि विभागीय अमला कहता है जिले में बीते वर्ष के मुकाबले 03 प्रतिशत की कमी आई है। महिला एवं बाल विकास विभाग को कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है, किंतु विभागीय अफसर महज औपचारिकता निभाते दिख रहे हैं। जिसके चलते जिले का बचपन कुपोषण झेलने को मजबूर है।
दे रहे सांझा चूल्हा से पोषण आहार –
जिले की सभी 11 परियोजना अंतर्गत आंगनबाडिय़ों में सांझा चूल्हा व्यवस्था अंतर्गत पोषण आहार में नाश्ता और भोजन का मीनू निर्धारित। जिसके अनुसार प्रतिदिन बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किए जाने के निर्देश हैं, हालांकि इसका सही-सही पालन हो नहीं पा रहा है। इसमें सोमवार को नाश्ते में प्रति हितग्राही मीठी लप्सी 100 ग्राम। भोजन में रोटी, मिक्स दाल, हरी सब्जी। मंगलवार को पौष्टिक नाश्ते में खिचड़ी करीब 100 ग्राम। भोजन में खीर, पुड़ी, आलू-मटर या आलू-चना की सब्जी (यही भोजन गर्भवती एवं धात्री माताओं के लिए)। बुधवार को नाश्ते में मीठी लप्सी। भोजन में रोटी, मिक्स दाल, हरी सब्जी। गुरुवार को नाश्ते में नमकीन दलिया तैयार 100 ग्राम। वेज पुलाव-पकोड़े वाली कढ़ी। शुक्रवार को नाश्ते में उपमा तैयार 80 ग्राम। भोजन में रोटी, मिक्स दाल, हरी सब्जी। शनिवार को नाश्ते में मीठी लप्सी। भोजन में रोटी, मिक्स दाल, हरी सब्जी देने के निर्देश हैं।
चल रहा है राष्ट्रीय पोषण मिशन –
भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्र एप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 0 से 06 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। राष्ट्रीय पोषण मिशन अन्र्तगत कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए आगामी 03 वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये है।
पोषण मिशन के उद्देश्य एवं लक्ष्य –
पोषण मिशन चलाकर 0 से 6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत, प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 0 से 6 वर्ष के बच्चों का अल्प पोषण से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत, प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत, प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 15 से 49 वर्ष की किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत, प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना। कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कुल 6 प्रतिशत, प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाने के प्रयास हो रहे हैं।
अधिकारी बता रहे ये कारण –
मजदूर वर्ष के बच्चों के आहार पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण कुपोषण की स्थिति बनती है। ऐसे बच्चों की पहचान कर सुपोषण के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। शासन की योजना के तहत परियोजना के सभी आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों, गर्भवती व धात्री माताओं को पोषण आहार प्रदान किया जा रहा है।
मनोज कुमार भांगरे, परियोजना अधिकारी बरघाट
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