script20 मार्च 2015 को कालरवाली बाघिन की छायाचित्र के साथ जारी हुआ था स्पेशल कवर व डाक टिकट | A special cover and postage stamp was released on 20 March 2015 with t | Patrika News
सिवनी

20 मार्च 2015 को कालरवाली बाघिन की छायाचित्र के साथ जारी हुआ था स्पेशल कवर व डाक टिकट

टूरिया में अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुआ था जारी

सिवनीJan 21, 2022 / 10:27 am

akhilesh thakur

20 मार्च 2015 को कालरवाली बाघिन की छायाचित्र के साथ जारी हुआ था स्पेशल कवर व डाक टिकट

20 मार्च 2015 को कालरवाली बाघिन की छायाचित्र के साथ जारी हुआ था स्पेशल कवर व डाक टिकट

सिवनी. पेंच टाईगर रिजर्व की रानी ‘कालरवाली बाघिनÓ टी-१५ अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन मरने के बाद भी वह वन्यप्राणी प्रेमियों की चर्चा में सुर्खियां बनी हुई है। हर कोई उससे जुड़ी यादों को साझा करने में लगा हैै। किसी का कहना है कि वे जब भी पेंच भ्रमण के लिए जाते थे तो उनको उसका दीदार होता था। वह पर्यटकों के सफारी के बिल्कुल पास तक आ जाती थी। अक्सर शावकों के साथ उसको देखा जाता था। इन सबके बीच २० मार्च २०१५ को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर टूरिया गेट पर आयोजित कार्यक्रम में डाक विभाग द्वारा स्पेशल कवर व डाक टिकट जारी किया गया था।
२९ शावकों की मां विश्व विख्यात पेंच की रानी कालरवाली बाघिन टी-१५ अब फिर एक बार उन डाक टिकटों को लेकर सुर्खियों में आ गई है। उसकी मौत के बाद वन्यप्राणी प्रेमियों ने उस समय के कार्यक्रम को याद करते हुए उसके खास होने की बात बताई। वन्यप्राणी पे्रमियों ने बताया कि एपीसीसीएफ अतिरिक्त प्रभार अनुसंधान और विस्तार भोपाल संजय कुमार शुक्ला उस समय सिवनी में तैनात थे। उन्होंने टूरिया में अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कालरवाली बाघिन की छायाचित्र के साथ स्पेशल कवर व डाक टिकट जारी कराया था। बताया जा रहा है कि मीडिया से बातचीत के दौरान एपीसीसीएफ शुक्ला ने सिवनी में तैनाती के समय उक्त डाक टिकट जारी किए जाने की पुष्टि की है।
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पीएम रिपोर्ट : बाघिन के पेट में मिला बाल का गोला
कालरवाली बाघिन की मौत बीते १५ जनवरी को सायं ६.१५ बजे करीब १६.५ वर्ष की आयु में हो गई। उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया उसके पेट के अंदर बाल का गोला मिलने की बात बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि उसकी मौत का कारण वृद्धावस्था के साथ पेट में मिले बाल का गोला भी है। इस संबंध में क्षेत्र संचालक अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि बाघिन के पेट में बाल का गोला मिला है। बाल के गोले के साथ उसके मरने का कारण वृद्धावस्था है। सामान्य तौर पर जंगल में बाघ व बाघिन १४ से १५ वर्ष तक जीवित रहते हैं।

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